भारतीय संस्कृति देश की शान और प्राण हैं, संस्कारों से ही बचेगा धर्म-मुनि श्री कंचन सागर

अभिषेक जैन सीहोर-दिगंबर जैन संत श्री 108कनक  सागर जी  महाराज के शिष्य 108 कंचन सागरजी  महाराज ने पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर छावनी में प्रवचन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति हमारे देश की शान ओर प्राण हैं। परंतु बिना संस्कारों के संस्कृति की रक्षा क्या, स्वयं की रक्षा भी नहीं हो पाएगी। संस्कारों से ही संस्कृति का जन्म हुआ है। संस्कृति की रक्षा के लिए संस्कारों का बीज रोपण तथा संस्कारों को पवित्र बनाने आज आवश्यकता है।  महाराज श्री  ने कहा कि संस्कारों से ही धर्म बचेगा। अराजकता और अशांति मिटाकर शांति पाना है तो संस्कारों के माध्यम से ही पा सकेंगे। यदि संस्कारों के अंकुर अंकुरित होंगे तो एक दिन फिर से राम राज्य स्थापित हो सकता है। सारी महिमा संस्कारों की ही है। संस्कृति की नीव संस्कारों पर टिकी है। यदि उसे बचाना है तो संस्कारवान बनना पड़ेगा। संस्कार महावीर और राम की जगह लगातार रावण और कंस के समान होते जा रहे हैं। संस्कृति को विकृति से बचाना है तो अपने संस्कारों को पवित्र बनाओ। तभी स्वयं और समाज, राष्ट्र का कल्याण होगा।
 

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