अभिषेक जैन सागर-मुनि श्री सुब्रतसागरजी महाराज ने धर्मसभा में कहा यदि आपने शुद्धात्मा की प्राप्ति के लिए लक्ष्य बनाया है तब उसे प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करना पड़ेगा। जिस प्रकार एक बच्चा अपनी जिद की पूरी करने लिए प्रयत्न करता है और सफल हो जाता है।
पुरुष लड़-झगड़ कर, नारियां रो-रो कर अपनी इच्छा की पूर्ति करवा लेती हैं। मन वचन काय से प्रयत्न करने पर इच्छा पूरी हो जाती है। हमें जहां पर विश्वास होता है वहीं पर हम अपनी वेदना को व्यक्त करते हैं ।एक कथा के माध्यम से मुनिश्री ने बताया कि एक युवक शादी करके विदेश से अपनी पत्नी को लेकर पानी के जहाज से अपने देश को लौट रहा था आगे तूफान आने से जहाज डगमगा जाता है ,लोग घबरा जाते हैं ।सभी अपने इष्ट देव को याद करने लगते हैं नई नवेली दुल्हन भी आंखें बंद करके भगवान को याद करने लगती है। परंतु पति निश्चिंत भाव से बैठा रहता है ।पत्नी ज्यों ही आंखें खोलकर देखती है पति को उलाहना देते हुए कहती है इस संकट की घड़ी में आप चुपचाप बैठे हो कुछ भी नहीं कर रहे हो आपको प्रार्थना करना चाहिए। पति गुस्से में चाकू निकालकर पत्नी की गर्दन पर रख देता है पर पत्नी अपनी भक्ति में लीन हो जाती है पति यह देखकर पत्नी से कहता है कि तुम चाकू से भयभीत क्यों नहीं हो रही हो पत्नी ने कहा मैं तुमसे डरने वाली नहीं तुम अगर तलवार भी लेकर आओ तो भी मैं नही डरूंगी क्योंकि मुझे अपने पति पर भरोसा है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी
एक बार विश्वास टूट जाए तो दोबारा हासिल करना असंभव होता है : मुनि श्री सुब्रतसागर
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Wednesday, September 12, 2018
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