अभिषेक जैन रतलाम -तन को स्वस्थ और साफ रखने के लिए स्नान करों और आत्मा के मेल को मिटाने के लिए दान करों। धर्म के प्रति आस्था रखने वाला सच्चा धर्मात्मा वही है जो दान करता है। दान से पाप का ग्राफ घटता है और पुण्य की लाइन लंबी होती है। आज लोग कमाने के लिए दान करते हैं उनकी सोच ये हैं कि रुपया दान करेंगे तो भगवान 100 रुपए की कमाई देगा। इस सोच के साथ दान करने वाले पाप के भागी बन रहे हैं। हमें अपनी कमाई का दस प्रतिशत हिस्सा दान कर पुण्य लाभ लेने से पीछे नही हटना चाहिए।
यह बात चातुर्मास धर्मप्रभावना समिति द्वारा आयोजित चातुर्मास में मुनिश्री 108 प्रमाण सागरजी मसा ने कही। उन्होंने दान क्यों, दान कैसे, दान कहां और दान कब से जुड़े सूत्र समझाए। उन्होंने कहा स्व और पर के अनुग्रह के लिए अपने धन के परित्याग का नाम दान है। कमाया हुआ पैसा दिखता है उसकी आड़ में कमाया पाप कभी नहीं दिखता। इस पाप को साफ करने के लिए दान करना चाहिए है। दान नहीं देने से जीवन में दरिद्रता आएगी, दान करों दरिद्रता जाएगी।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी
एक रूपया दान करोगे तो सो रूपये की कमाई मिलेगी ऐसी सोच रखने वाले पाप कस्य भागी बन रहे-मुनि श्री प्रमाण सागर
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Saturday, October 06, 2018
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