राजनीतिक हलचल-मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए 2 तारीख से नामांकन पत्र भी दाखिल होने लगे हैं और प्रत्याशी चुनावी मैदान में कमर कस कर उतर गए हैं , अनेकों प्रकार के लोकलुभावन वादों की बरसात कर जनता को मतदाता में बदलने की कोशिश में है । पोहरी में मुकाबला इस बार कुछ ज्यादा ही दिलचस्प है क्योंकि जहाँ एक ओर भाजपा से दो बार के विधायक प्रहलाद भारती चुनाव मैदान में है तो बसपा से पूर्व भाजपा नेता पासा पलटकर हाथी पर सवार हैं । तीसरी तरफ कांग्रेस ने भी किरार उम्मीदवार घोषित कर सबको चौंका दिया है ।प्रहलाद भारती किरार समाज से ताल्लुकात रखते हैं और पोहरी में किरार निर्णायक भूमिका में है और पोहरी की जनता इस बार स्थानीय प्रत्याशी की माँग पर डटी हुई थी जिसे कांग्रेस ने सुरेश राँठखेड़ा के रूप में पूरा कर दिया है लेकिन अभी सूत्रों के मुताबिक एन वक़्त पर किरार अपने समाज बंधु का साथ तो दे सकते हैं लेकिन अब किरार किसका साथ देंगे भारती या सुरेश इस बात का के लिए सभी राजनैतिक जानकारों का गणित फैल माना जा रहा है ,प्रहलाद भारती को विकास के आधार पर आशीर्वाद मिल सकता है और यदि ऐसा हुआ तो भारती हैट्रिक लगाकर सरकार बनने पर मंत्री पद के दावेदार हो जायेंगे,और इसके साथ पोहरी एक बार फिर स्थानीय विधायक से वंचित रह सकती है और शायद ऐसा मौका फिर न मिले । इस बार कमल और हाथ दोनों की टक्कर हाथी से होती दिख रही है । हाथी इस बार पूरी दमख़म से मैदान में है और हाथी की तेज चाल से उड़ती धूल में कमल,हाथ के दिखाई न देने के भी आसार हैं क्योंकि हाथी की सवारी करने वाला कोई और नहीं बल्कि भारती का पुराना साथी कैलाश कुशवाह है जो कमल दल से वगावत कर बैठे । पोहरी में कुशवाह समाज के वोट बैंक अच्छा खासा है जानकारों की माने तो कुशवाह समाज इस समय हाथी के साथ दिखाई नही दे रही है लेकिन क्या कुशवाह कैलाश का साथ देंगे ,हरिजन हाथी का साथी होता है मगर कांग्रेस इस वोट बैंक में सेंध लगा सकती है , पोहरी से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ब्राह्मण प्रत्याशी ने सभी अनुमानों पर पानी फेर दिया है और राजनीतिक समझ रखने वाले लोग फिर से गुना भाग में लग गया है ,फिलहाल देखा जाए तो मुकाबला रोचक है । पोहरी की चुनावी स्थिति पर कह जाना जल्दबाजी ही होगी । आगे आगे देखते हैं कि हाथी उड़ाएगा धूल या फिर खिलेगा फूल या जनता देगी हाथ का साथ पोहरी का चुनाव धीरे धीरे रोचक होता जाएगा