नेताजी का हाथी पर सवार होकर विधानसभा जाने का सपना कहीं सपना ही ना रह जाए...?

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पोहरी। पोहरी में विधानसभा चुनाव इस समय अपने पूरे रंग में रंगा हुआ दिखाई दे रहा है। यह चुनाव कुछ नेताओं के लिए अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है क्योंकि इस चुनाव के बाद कई नेताओं की नेतागिरी पर ही खतरे के बादल छा सकते हैं। ऐसे ही एक नेताजी हाथी पर सवार होकर विधानसभा के सपने देख रहे हैं इसके लिए उन्हें उस भाजपा को टाटा-गुड वाय कह दिया जिसके सहारे उन्होंने राजनीति में चलना सीखा। अब जिस तरह से राजनीतिक समीकरण सामने आ रहे हैं उससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कहीं हाथी पर सवार होकर नेताजी का विधानसभा जाने का सपना एक सपना बनकर ही ना रह जाए।
हाथी का सपना, सपना बनकर रहने के जो समीकरण सामने आ रहे हैं वह यह हैं कि हाथी की सवारी करने वाले कैलाश कुशवाह बसपा और कुशवाह वोट बैंक को बुनाने के लिए भाजपा से बागी हुए, लेकिन हाथी वाले नेता जी ने मन में जो लालसा पाली है उस पर पानी फेरने के लिए उन्ही की बिरादरी के लोग उन्हें पटकनी देने के लिए हुंकार भरने की तैयारी में हैं। हमारे सर्वे के अनुसार दो कुशवाह प्रत्याशी निर्दलीय रूप से चुनाव मैदान में कूदने की पूरी तैयारी में हैं और वह एक दो दिन में अपना नामांकन पत्र भर सकते हैं इसके बाद हाथी की मुश्किलें बढऩा निश्चित ही है। इसके अलावा बसपा वोट बैंक को भी पूरी तरह से हाथी का नहीं माना जा सकता क्योंकि इस बार बसपा प्रत्याशी भी जागरुक नजर आ रहे हैं वह पिछले चुनावों की तरह किसी का मोहरा नहीं बनना चाहते।

मतदाताओंं में झलका असंतुष्ट

सूत्रों की मानें तो कैलाश कुशवाह ने क्षेत्र में जब से जनसंपर्क करना शुरू किया तो उन्होंने कमल के फूल के साथ संपर्क किया। लोगों ने भाजपा के कैलाश को सहयोग करने की बात कही थी, लेकिन अब जब कैलाश चुनाव मैदान में हैं तो वह फूल के साथ नहीं, बल्कि हाथी पर सवार होकर उतरे हैं। ऐसे में वही मतदाता जिन्हें कैलाश का समझा जा रहा था वह आज बागी नजर आ रहे हैं जिससे हाथी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। 
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