अभिषेक जैन मुंगावली -आचार्य श्री के दर्शन के लिए सूरत से मुंगावली पहुंचे वर्ष 2018 आईईएस के टॉपर अमन जैन ने अपनी पहली सैलरी सहस्त्रकूट जिनालय को दान करने की घोषणा की। वहीं उन्होंने इस सफलता का पूरा श्रेय आचार्य श्री को दिया। शनिवार को सिरोंज से भी बड़ी संख्या में जैन समाज के लोगों ने पहुंचकर श्रीफल भेंट किया।
तोहफा: सहस्त्रकूट जिनालय मिला, त्याग: लोगों ने बुराइयां छोड़ने का संकल्प लिया
12 दिनों तक मुंगावली को अपने चरण और वाणी से पवित्र करने वाले आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज का शनिवार को कंजिया की तरफ विहार हुआ। इन दिनों में आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में समाज के प्रतिनिधि मंडलों ने आचार्यश्री को श्रीफल भेंट कर नगर में आने का आमंत्रण दिया था लेकिन जिस रास्ते से चलकर आचार्य श्री ने शहर में प्रवेश किया था उसी रास्ते से वापस चले गए। इसको लेकर स्थानीय समाजजनों का कहना है कि शहर के दीक्षित हुए मुनियों एवं ब्रह्मचारी भैया और दीदी का पुण्य है जो आचार्य श्री मुंगावली वालों को आशीर्वाद देने स्वयं नगर में आ गए।
शनिवार दोपहर पौने दो बजे आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने ससंघ मुंगावली से विहार किया। 4 से 15 दिसम्बर तक शहर में विराजित रहे आचार्यश्री के अचानक विहार की खबर लगते ही हजारों की संख्या में लोग संत साधना स्थली की तरफ दौड़ पड़े। इसके बाद आचार्य श्री ने कंजिया तक 18 किमी दूरी शाम तक तय की और वहीं पर रात्री विश्राम किया। समाजजनों का कहना है कि आचार्यश्री की आगामी दिशा संभावित खिमलासा भी हो सकती है। इस दौरान सुबह की आहारचर्या कंजिया से 12 किमी दूर भानगढ़ में होगी। आचार्य श्री के साथ आए मुनिसंघ में से 10 नव दीक्षित मुनि जिन्होंने ललितपुर में दीक्षा ली थी। वे मुनिश्री समय सागर जी महाराज के सानिध्य में मुंगावली में ही शीतकालीन वाचना करेंगे। उल्लेखनीय है कि आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मुनिश्री समय सागर ही महाराज ससंघ मुंगावली पहुंचे थे।
आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के पावन चरण जिस दिन से मुंगावली में पड़े, उसी दिन से समाज के लोगों की दिनचर्या बदली
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अन्य आचार्य से दीक्षित मुनिश्री महान सागर जी महाराज को आचार्य श्री के मुंगावली में विराजित होने का पता चला तो वे भी उनके दर्शन करने मुंगावली पहुंच गए।
शहर को सहस्त्रकूट जिनालय की सौगात मिली जो हमेशा के लिए अमिट हो गई।
थूबोन जी में आचार्य श्री के शीतकालीन वाचना की संभावना प्रबल थी। जहां व्यापक स्तर पर तैयारियां भी चल रही हैं। इसके अलावा अशोकनगर, गुना, सिरोंज, बीना, गंजबासौदा, आरोन सहित आसपास के क्षेत्र से श्रीफल भेंट कर आचार्य श्री को आमंत्रित किया।
आईईएस के टॉपर ने पहली सैलरी सहस्त्रकूट जिनालय के लिए की दान
आचार्य श्री की मौजूदगी से ये प्रमुख तीन बदलाव
1. बदल गई थी समाज की दिनचर्या- आचार्य श्री के नगर में विराजित होते ही समाज के लोगों की दिनचर्या में बड़ा बदलाव हो गया था। स्थानीय समाज जन राहुल जैन, संजय सिंघई, सोनू मोदी ने बताया कि सुबह 12 बजे तक समाज के लोग मोह माया का त्याग कर गुरु के सानिध्य में रहते थे। इस दौरान आचार्य भक्ति, पूजन, आहारचर्या होती थी। जबकि शाम को 5 बजे फ्री होकर गुरु भक्ति के लिए मंदिरों में पहुंच जाते थे।
2. शहर का बढ़ा व्यापार- बीते दिनों में शहर में हर दिन हजारों की संख्या में दूसरे शहरों से लोगों का आना जाना रहा। इससे शहर में पेट्रोल, डीजल, टैक्सी वाहन का व्यापार बड़ा। वहीं इनके अलावा होटल, भोजनालय, रेस्टोरेंट सहित हर दिन बड़ी संख्या में चौके लगने के चलते सब्जी की खपत भी दुगनी हो गई।
3. लोगों ने छोड़ी बुराइयां- आचार्यश्री के सम्मुख जैन समाज के अलावा दूसरे समाज के लोगों ने पहुंचकर उनका आशीर्वाद लिया। इस दौरान लोगों ने मांसाहार, शराब, नशा सहित दूसरी सामाजिक बुराइयों का परित्याग किया। यहां तक राजघाट बांध में मछली का 14 करोड़ रुपए का ठेका तक वहां के ठेकेदार ने आचार्यश्री का आशीर्वाद लेने के बाद त्याग दिया।