अभिषेक जैन सागर -भाग्योदय तीर्थ परिसर में चल रहे पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव में बुधवार को चौथे दिन तप कल्याणक में 350 प्रतिमाओं के दीक्षा संस्कार के साथ ही युवराज पद स्थापना, राजतिलक, राज्य संचालन नीलांजना नृत्य, भरत बाहुबली का राजतिलक, मुनि दीक्षा और शाम 7 बजे महाआरती, धर्मसभा के बाद रात 8.30 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति होगी।
भाग्योदय में पंचकल्याणक के तीसरे दिन आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य ज्येष्ठ मुनि श्री योग सागर जी महाराज के सानिध्य में जन्म कल्याणक से जुडे कार्यक्रम हुए। मंगलवार को सुबह 6 बजे पात्रशुद्धि, अभिषेक और शांतिधारा से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। इसमें सुबह 7 बजे बालक तीर्थंकर के जन्म पर प्रमुख पात्रों द्वारा जन्म की बधाइयां दी गई और पूजन, शांति, हवन के बाद मुनि संघ की मंगल देशना आरंभ हुई। दोपहर पूर्व इंद्रसभा, सौधर्म इन्द्र और शचि रानी के बीच 50 मिनट तक हुए संवाद के बाद दोपहर 12.40 बजे जन्म अभिषेक जुलूस निकला, जो भाग्योदय तीर्थ से विद्या भवन पहुंचने के बाद दोपहर 1.50 बजे वापस लौटा। इसके बाद परिसर में पांडुकशिला पर जन्म अभिषेक का आयोजन किया गया। शाम महाआरती, धर्मसभा और विद्वानों के प्रवचन हुए। रात 8 बजे तांडव नृत्य व सांस्कृतिक कार्यक्रम के तुरंत बाद पालना, झूला और बाल कीड़ा से जुड़े आयोजन हुए।
ये हैं विराजमान :
भाग्योदय पंचकल्याणक में मुनि श्री पवित्र सागरजी,मुनिश्री अभय सागरजी, मुनि श्री प्रयोग सागरजी, मुनि प्रभात सागर, मुनि संभव सागर, मुनि पूज्य सागर, मुनि विमल सागर ,मुनि श्रीअनंत सागरजी, मुनि श्रीधर्म सागरजी, मुनि श्री शैल सागरजी, मुनि श्रीअचल सागरजी, मुनि अतुल सागर , मुनि भाव सागर , मुनि निस्सीम सागर , मुनिश्री निरीह सागरजी , मुनि श्री शाश्वत सागरजी, आर्यिका ऋजुमति माताजी आर्यिका उप शांत मति माताजी ,आर्यिका अनंत मति माताजी और आर्यिका गुण मति माताजी,आर्यिका भावना मति माताजी ससंघ शामिल हैं।
जिसे अपना इतिहास मालूम नहीं, वह जीवन में उन्नति नहीं कर सकता: मुनि प्रयोग सागरजी
मंगलवार को धर्मसभा में मुनि श्री प्रयोग सागरजी महाराज ने कहा कि जो दोनों हाथों से लुटाता है वह सब कुछ पाता है। भाग्योदय का कण-कण पवित्र हो गया है। महापुरुषों का जीवन चरित्र उनके जैसा बनने की प्रेरणा देता है। जिस व्यक्ति को अपना इतिहास ज्ञात नहीं वह अपने जीवन में उन्नति नहीं कर सकता। जिन्होंने सब कुछ छोड़ा है वह आपके सामने बैठे हैं। तीर्थंकरों का इतिहास पढ़ कर हम उन जैसा बन सकते हैं। मनुष्य की इच्छा का कोई ओर छोर नहीं है। आज जन्म हुआ है प्रभु का, तो परिसर में महोत्सव का माहौल है। करोड़ों रुपए देने के बाद भी समय वापस नहीं आ सकता। शुद्ध की भावना रखोगे तो शुद्ध मिलेगा। महापुरुष गर्भ में आते हैं तो दोहला आता है।
हम बच्चे को ज्ञानी बनाना चाहते हैं लेकिन हिंदी नहीं पढ़ाना चाहते: मुनि श्रीशैल सागरजी
भाग्योदय में सुबह जन्म कल्याणक पर मुनि श्रीशैल सागर जी महाराज ने कहा यह अन्य मंदिरों सहित यहां का 11वां पंचकल्याणक है। आचार्य भगवन तीर्थंकर प्रकृति का बंध करने में लगे हुए हैं। संतान को गर्भ में संस्कार देना महत्वपूर्ण हैं। अंग्रेजी पढ़ना जरूरी नहीं पर हिंदी पढ़ना जरूरी है। ज्ञानी तो बनाना चाहते हैं बच्चे को, लेकिन हिंदी नहीं पढ़ाना चाहते। हम पश्चिमी सभ्यता के कारण हिंदी को भूलते जा रहे हैं। आज जन्म कल्याणक का दिन है।जन्म के बाद संस्कार देना जरूरी है। हम वस्त्र कैसे पहन रहे हैं हमारे ऊपर पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव पड़ रहा है। हमारा परिवार, हमारे संस्कार, हमारा धर्म क्या कह रहा है। देख कर चले। कान्वेंट का अर्थ अनाथ आश्रम होता है।
तप कल्याणक में आज 350 प्रतिमाओं के दीक्षा संस्कार, भाग्योदय में बालक तीर्थंकर के जन्म के बाद हुआ अभिषेक, निकला जुलूस
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Wednesday, December 12, 2018
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