अभिषेक जैन खुरई-यहां के वाशिंदे प्रतिदिन कोई न कोई योजना लेकर आते, नमोस्तु करते, और आशीर्वाद मांगते- मैं भी उनकी परीक्षा लेता, आश्वासन देता एवं टिरका देता। परन्तु यहां के श्रद्धालुओं के मनोभावों एवं उत्साह को देख मैंने भी इन्हें अाशीर्वाद दे दिया। मैं तो आशीर्वाद मात्र परमार्थ, उत्कृष्ट, जैन धर्म की प्रभावना एवं पारलौकिक कार्यों के लिए ही देता हूँ, किसी की दुकान खोलने, फैक्टरी खोलने या अन्य सांसारिक कार्यों के लिए नहीं देता।
यह बात नवीन जैन मंदिर जी में विराजमान आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ने बुधवार काे प्रवचन देते हुए कही। उन्हाेंने कहा कि खुरई नगर का नाम संपूर्ण राष्ट्र में बहुत सम्मान से लिया जाता है, यहां के कृषि उपकरण एवं गेंहूं संपूर्ण राष्ट्र में विक्रय किए जाते हैं। यह उद्योगपतियों एवं श्रीमंताे की नगरी है यहां कोई भी काम करना असंभव नहीं। वैसे भी कृषि के कार्यों एवं उसके सहयोग करने वाले अन्नदाता कहलाते हैं। कृषि में अन्य व्यवसायों की अपेक्षा हिंसा भी कम होती है। हम कृषि प्रधान देश में रहते हैं। भगवान ऋषभदेव ने भी हमें हजारों वर्ष पूर्व कृषि करना सिखाया था। उनका मूल उद्देश्य भी कृषि करो या ऋषि बनो का था। उन्होंने कहा कि यहां के वाशिंदों ने जो कार्य इतने अल्प समय में किया वह निश्चित ही अनुकरणीय है। एक परिवार ने जमीन दान देकर, एक परिवार ने मंदिर बनाने की घोषणा कर एवं शेष श्रेष्टिद्वय ने मूर्तियां विराजमान करने की सहमति देकर जो अनुकरणीय कार्य किया है, उसके लिए आप सभी साधुवाद के पात्र है। 136 फुट ऊंचे सहस्त्रकूट जिनालय एवं चाैबीसी बनाने के लिए अाशीर्वाद लिया
आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद एवं सानिध्य में ब्रम्हचारी सुनील भैया, ब्रम्हचारी नितिन भैया जी के मार्गदर्शन एवं वास्तुविद् की सलाह से सागर रोड पर 136 फुट ऊँचे सहस्त्रकूट जिनालय एवं चाैबीसी मंदिर के निर्माण करने की सहमति सकल दिगंबर जैन समाज ने आचार्य संघ के श्रीचरणों में की। उनसे अाशीर्वाद लिया। आचार्यश्री ने समस्त नगरवासियों को आशीर्वाद प्रदान किया। इस अवसर पर विजय बट्टी परिवार, धर्मेन्द्र खड्डर परिवार, कबाड़ी परिवार, चाैधरी परिवार सहित सकल दिगंबर जैन समाज ने मंदिर निर्माण करने एवं मूर्तियां विराजमान करने के लिए गुरूदेव की कृपा से दान राशि की तुरंत देने की घोषणा की।
आचार्यश्री ने मंदिर निर्माण का कार्य समय सीमा में करने एवं समस्त जिनालय को पाषाण से बनाने का आशीर्वाद दिया। जिनेन्द्र गुरहा ने समाज की ओर से बात रखी।
ऋषभदेव ने भी हमें हजारों वर्ष पूर्व कृषि करना सिखाया था, उनका मूल उद्देश्य कृषि करो या ऋषि बनो का था:अाचार्यश्री
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Thursday, December 27, 2018
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