अभिषेक जैन सोनकच्छ-दोषों से रहित संपूर्ण जीवन ही संत का रूप है। जिन्हें आप भी अपने अंतरमन में उतार लेंगे तो जीवन में सार्थकता आ जाएगी। यह बात सोमवार को मांगीतुंगी महाराष्ट्र से अयोध्या की ओर विहार कर रही गणनी प्रमुख ज्ञानमती माताजी ने सोनकच्छ नगर में दिगंबर जैन मंदिर परिसर पर आयोजित प्रवचन में कही।
माताजी ने दिगंबर जैन धर्म का कई शताब्दियों पूर्व का इतिहास भी भक्तों को बताया। इसी कड़ी में मंच पर विराजित श्रमणी चन्द्रमति माताजी ने कहा जैन धर्म अहिंसा से जुड़ा है जैन जाती नहीं, जैन धर्म राम, हनुमान, महावीर के साथ हमारी सभी की आत्मा भी स्वतंत्र है तो हम व्यक्ति जैन हो या अजैन सारे भेद हम सांसारिक लोगों ने ही पैदा किए हैं। यदि आत्मा को परमात्मा बनाने की शक्ति किसी में है तो बस इंसान में है। कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण से हुई। जिसके बाद मंच पर माताजी के संघस्थ पीठाधीश हस्तिनापुर स्वामी रविन्द्र कीर्तिजी महाराज ने अपनी वाणी से उपस्थित भक्तों को संबोधित किया। साथ में गणिनी प्रमुख माताजी ससंघ मंच पर विराजमान थी। इस अवसर पर समाज की ओर से अध्यक्ष मंडलाध्यक्ष व नगर की ओर से माताजी को श्रीफल भेंट किए। साथ ही इंदौर, भोपाल, आष्टा, जावर सहित कई जैन भक्तों ने माताजी को श्रीफल भेंट कर अपने नगरों में पधारने का आग्रह किया।
बैंडबाजों के साथ कराया मंगल विहार
दोपहर में पूज्य माताजी ने नदी किनारे स्थित आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के दर्शन किए। इसके बाद माताजी ने समाजजनों को मंगल आशीर्वाद देकर नगर से आगे के लिए अपना ससंघ मंगल विहार किया। बैंडबाजों के साथ समाजजनों ने ससंघ मंगल विहार कराया।
पूज्या माताजी संघ का विहार भोपाल होते हुये हस्तिनापुर की और हो रहा है