मर्यादित जीवन जीना भी किसी व्रत से कम नहीं : सुंदरसागरजी महाराज

अभिषेक जैन सागवाडा-आचार्य श्री सुंदरसागर जी महाराज का बुधवार को सुबह में शहर में मंगल प्रवेश हुआ। भीलूडा से विहार कर नगर में प्रवेश पर बांसवाड़ा रोड़ पर तहसील कार्यालय के पास समाजजनों ने आचार्य  ससंघ की गाजे बाजों के साथ अगुवाई की। समाधिस्थ तपस्वर सम्राट आचार्य श्री सम्मतिसागर जी महाराज के शिष्य आचार्य श्री सुंदरसागर जी महाराज सहित19 पिच्छीधारी साधुओं के पहली बार नगर आगमन पर  आचार्य महाराज  का पाद प्रक्षालन किया। जुलुस के रूप में गोल चौराहा पहुंचने पर आचार्य  के सहज दर्शन के लिए उन्हें पुलक मंच की ओर से तैयार किए गए रैम्प पर विराजित कर पाद प्रक्षालन किया। जिसके बाद आचार्य ससंघ को बैंड बाजों के साथ शोभायात्रा के रूप में आदिनाथ दिगंबर जैन जूना मंदिर लाया गया। जहां आचार्य संघ ने जिनेंद्र भगवान के दर्शन किए। उसके बाद जैन बोर्डिंग के वात्सल्य सभागार में धर्मसभा का आयोजन हुआ। आचार्य ने अपने संबोधन में सत्य,अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रम्हचर्य को पंच महाव्रत बताते हुए इसका पालन करने की बात कही। आचार्य ने कहा कि गृहस्थ जीवन में रहते हुए मर्यादित जीवन जीना भी किसी व्रत से कम नहीं है। उन्होंने असत्य, क्रोध, ईष्र्या, द्वेष, पर निंदा जैसी स्वाभाविक बुराइयों से बचने की सीख दी। प्रतिष्ठाचार्य विनोद पगारिया ने बताया कि स्थानीय श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर में समाज के तत्वावधान में आचार्य संघ के सानिध्य में 24 से 1 जनवरी तक सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन होगा।

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