बावनगजा -जीवन रत्न अमूल्य है। इसे बर्बाद मत करो। अपने संस्कारों व सकारात्मक सोच से जीवन को समुन्नत करें। मन से ईर्ष्या निकाल दो, ईश्वर बन जाओगे। आलोचना साधुओं की होती है, डाकुओं की नहीं। इसलिए लोभ, मोह, क्रोध, अंहकार का त्याग कर जीवन को सार्थक करें।
सिद्धक्षेत्र बावनगजा में मुनि प्रमाण सागरजी महाराज ने प्रवचन में समाज के लोगों से यह बात कही। रविवार सुबह 9 बजे सिद्धक्षेत्र में मुनिश्री के मुखारविंद से भगवान आदिनाथ के चरणों में शांतिधारा की गई। इसके बाद प्रवचन हुए। उन्होंने कहा ईर्ष्या के 4 लक्षण हैं। किसी की प्रशंसा नहीं सुन पाना, किसी की प्रगति नहीं सह पाना, अपनी अयोग्यता की अनदेखी कर सामने वाले पर दोषारोपण करना, व्यर्थ में जलना-कुढ़ना। ये मनुष्य को अवनति की ओर ले जाते हैं। ओछी मानसिकता से बचे। सहिष्णु बने और ऊपर रहे, किंतु अहम न पालें। नकारात्मक सोच से बचें। इस दौरान मप्र के अलावा महाराष्ट्र, उप्र, बिहार, झारखंड स्थानों से समाज के लोग मौजूद थे।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
समाजजन मन से ईर्ष्या निकाल दो, ईश्वर बन जाओगे प्रमाण सागर जी
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Monday, January 14, 2019
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