भाव से ही मोक्षमार्ग: मुनिश्री शहर के चौगान जैन मन्दिर में धर्मसभा आयोजित

बूंदी-मुनिश्री विश्रांतसागरजी महाराज ने कहा कि काम भोग के प्रति आकांक्षा हो तो ना भोगते हुए भी ना क्रिया करते हुए भी कर्म बंध कर लेता है। एक क्रियावान साधक अथवा श्रावक क्रियाहीन साधक अथवा श्रावक की निंदा करता है तो क्रियावान भी कर्म बंध करता है। भाव से ही कर्म बंध होता है और भाव से ही मोक्ष का रास्ता खुलता है। शहर के चौगान जैन मन्दिर में आयोजित धर्मसभा में उन्होंने कहा कि संसार का दुखों से मुक्ति चाहिए तो स्वाध्याय करना चाहिए। देवपुरा जैन समाज ने मुनिश्री को देवपुरा में प्रवास करने के लिए श्रीफल अर्पित किया। इस दौरान सकल दिगंबर जैन समाज के समाजबंधु साथ थे।
आचार्यश्री-मुनिश्री का मंगल मिलन
: आचार्यश्री शशांकसागरजी महाराज और मुनिश्री विश्रांतसागर महाराज का मंगल मिलन चौगान जैन मंदिर में हुआ। आचार्यश्री रजतगृह जैन मन्दिर से बूंदी शहर के जैन मन्दिरों के दर्शनार्थ आए और चौगान जैन मन्दिर में विराजमान मुनिश्री विश्रांत सागर जी महाराज से मंगल मिलन हुआ।
      संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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