पतित से पावन बनने के लिए जीवन में संस्कार बहुत जरूरी : मुनिश्री योगसागर जी

दमोह-संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से शुरू हुए पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव व विश्व शांति महायज्ञ में याग मंडल विधान की बड़ी पूजा के नौ वलय में अर्घ समर्पित किए गए। इंद्र-इंद्राणियों ने नाच गाकर भगवान कि पूजा की। प्रतिष्ठाचार्य विनय भैया, पं. सुरेश शास्त्री, पं. आशीष अभिषेक के संचालन में पंचकल्याणक की भक्ति परवान चढ़ रही है।

योगसागर जी  महाराज ने कहा पतित से पावन बनने के लिए संस्कार जरूरी हैं। महापुराण ग्रंथ में गर्व से मुक्ति तक के 53 संस्कार बताए गए हैं। भारत में संस्कृति व धर्म है जो पुनर्जन्म को मानता है, वह आत्म कल्याण का पुरुषार्थ करता है। अतुल्य सागर जी  महाराज ने कहा कि हिंदी जरूरी है अंग्रेजी मजबूरी है, भारत को भारत कहो इंडिया नहीं। निरीह सागर ने परस्पर उपकार करने का उपदेश दिया जो उपकार नहीं करता वह केवल जी रहा है उसकी सत्यकथा नहीं है। पूज्य निःशीम सागर महाराज ने दमोह को पुण्य क्षेत्र, अतिशय क्षेत्र की उपमा दी।
       संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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