लोभ महापाप है, पाप का बाप है: मुनि विश्रांतसागरजी महाराज

बूंदी-शहर के देवपुरा में रविवार को आयोजित धर्मसभा में प्रवचन देते हुए मुनिश्री विश्रांतसागर जी महाराज ने कहा कि लोभ महापाप है तथा पाप का बाप है। सत्य धर्म का नाश भी लोभ से ही होता है। संयम ग्रहण नहीं कर पाता है यह जीव लोभ के कारण। पापियों का शिरोमणि वह होता है जो अपने उपकारी का उपकार भुलाकर उसके साथ छल करता है। लोभ के वशीभूत व्यक्ति धर्म को छोड़कर कर्म करने में तत्पर रहता है। लोभ करने वाले लोभी की दान में प्रवृत्ति हो ही नहीं सकती। सर्प के तो मुख में जहर होता है, पर दुर्जन के रोम-रोम में जहर होता है। सभा से पूर्व मंगलाचरण पाठशाला परिवार ने किया। इस दौरान मधुबन कॉलोनी में होने वाले 25 से 31 जनवरी तक होने वाले पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के निमंत्रण कार्ड का विमोचन किया गया।
        संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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