दु:खों से सताया प्राणी सुखों की तलाश करता हैबावनगजा : अभिषेक व शांतिधारा हुई, बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे,



बावनगजा-शुक्रवार को भी गुरुदेव के प्रवचन शुरू हुए। इसमें गुरुदेव ने 6 शब्द की व्याख्या करते हुए गुरुदेव प्रमाण सागर जी  महाराज ने कहा कि धूप से व्याकुल प्राणी ही छांव की तलाश करता है। दुखों से सताया प्राणी सुखों की तलाश करता है। कर्मों के रेले में प्रचंड गर्मी में खजूर का नहीं, बरगद का वृक्ष ही शीतलता की शरण दे सकता है।
ये बातें बावनगजा में शुक्रवार को प्रवचन के दौरान मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज ने कही। उन्होंने आगे कहा कि संसारी स्वार्थ में झुलसा रहा है कर्मों का दुखड़ा लिए हुए सो रहा है। परमार्थ का आश्रय नहीं लेना और दुखी होता है। भोगो की आंधी में लिपटा है और वीतरागता पथ भूला है। धन का भूखा है, धर्म से छूटा है, यदि संसार में रहकर संसार की असारता को समझे व परमात्म पथ की घंूटी का पान करे तो जीवन सुखमय हो जाएगा।
मुनिश्री 108 प्रमाण सागर व विराट सागरजी महाराज के सानिध्य में लगातार धर्म व ज्ञान की वर्षा हो रही है। निमाड़ सहित बाहर से आए श्रद्धालु धर्म रूपी वर्षा का रसपान करते हुए अपने कल्याण पर बढ़ रहे हैं। इसी शृंखला में शुक्रवार को सुबह 7 बजे से गुरुदेव के पावन सानिध्य में मूलनायक 1008 पार्श्वनाथ जिन चैत्यालय में अभिषेक, शांतिधारा हुई। । इसके बाद गुरुदेव मंचासीन हुए। इसमें मांगलिक क्रियाएं चित्र-अनावरण के साथ गुरुदेव के पाद-प्रक्षालन, शास्त्र भेंट  किया गया
      संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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