जबलपुर -विश्व वंदनीय आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा सुंगंधित पदार्थ की यदि सुंगंध को लिया जावे तो उसका मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता हैं। यह प्रयोग एक व्यक्ति ने किया। उसने सुंगंधित वस्तु को जल मे मिलाकर ललाट पर लगाया तो वह कही घण्टो तक खुशबू देती रही।
प्रयोग धर्मी ने सोचा यदि इसका प्रयोग का उपयोग स्वयं तक सीमित ना रखकर आम जनता तक पहुंचाया जाये तो यह बहुत उपयोगी हो सकती है। उसने एक अगरबत्ती बनायी और भरी सभा मे जिस और हवा बह रही थी वहां एक कोने में अगरबती लगा दी। परिणाम स्वरूप सभा सुंगंधित हो गयी। सुंगंध ने लोगो के मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डाला।इससे खर्चा कम हुआ। व्यापक प्रभाव से हज़ारों व्यक्ति एक साथ लाभान्वित हुए। उन्होंने कहा एक अगरबती से हमे सीख मिलती हैं कि कम खर्चो मे भी बहुत बड़ी मात्रा मे लाभ प्रदान कर सकते है। अगरबत्ती की तरह जीवन में बहुत सी सुंगंध और गुण भरे हुए है हम यदि नेक नियत और अच्छे गुणों को खोल दे बहुत सारे लोग लाभान्वित हो जाते है। जिस तरह सुंगंध की कीमत नही लेकिन उससे अमीर गरीब सब लाभान्वित होते है।
इत्र लगाने वाला व्यक्ति के पास खड़े रहने वाला व्यक्ति यह नही कह सकता कि इत्र पर खर्च मैंने किया है आप इसकी सुंगंध को नही ले सकते। उसी तरह यदि किसी व्यक्ति के पास से दुर्गंध आती है तब आप उससे मुँह मोड़ लेते है अपनी नाक सिकोड़ लेते है। जिस तरह हम अच्छी सुंगंध से लोगो को लाभ पहुचा रहे है उसी तरह हम अपने अच्छे गुणों का लाभ दुसरो के हित मे करना चाहिए। दुर्गुण दुर्गंध की तरह होते है जो न सिर्फ आपको प्रभावित करते है बल्कि आपके आसपास रहने वाले आपके प्रिय परिजन को भी प्रभावित करते है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी
प्रयोग धर्मी ने सोचा यदि इसका प्रयोग का उपयोग स्वयं तक सीमित ना रखकर आम जनता तक पहुंचाया जाये तो यह बहुत उपयोगी हो सकती है। उसने एक अगरबत्ती बनायी और भरी सभा मे जिस और हवा बह रही थी वहां एक कोने में अगरबती लगा दी। परिणाम स्वरूप सभा सुंगंधित हो गयी। सुंगंध ने लोगो के मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डाला।इससे खर्चा कम हुआ। व्यापक प्रभाव से हज़ारों व्यक्ति एक साथ लाभान्वित हुए। उन्होंने कहा एक अगरबती से हमे सीख मिलती हैं कि कम खर्चो मे भी बहुत बड़ी मात्रा मे लाभ प्रदान कर सकते है। अगरबत्ती की तरह जीवन में बहुत सी सुंगंध और गुण भरे हुए है हम यदि नेक नियत और अच्छे गुणों को खोल दे बहुत सारे लोग लाभान्वित हो जाते है। जिस तरह सुंगंध की कीमत नही लेकिन उससे अमीर गरीब सब लाभान्वित होते है।
इत्र लगाने वाला व्यक्ति के पास खड़े रहने वाला व्यक्ति यह नही कह सकता कि इत्र पर खर्च मैंने किया है आप इसकी सुंगंध को नही ले सकते। उसी तरह यदि किसी व्यक्ति के पास से दुर्गंध आती है तब आप उससे मुँह मोड़ लेते है अपनी नाक सिकोड़ लेते है। जिस तरह हम अच्छी सुंगंध से लोगो को लाभ पहुचा रहे है उसी तरह हम अपने अच्छे गुणों का लाभ दुसरो के हित मे करना चाहिए। दुर्गुण दुर्गंध की तरह होते है जो न सिर्फ आपको प्रभावित करते है बल्कि आपके आसपास रहने वाले आपके प्रिय परिजन को भी प्रभावित करते है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी