योगेन्द्र जैन पोहरी-ग्वालियर लोकसभा सीट महल की सीट ही मानी जाती थी इस सीट पर महल का सदस्य या महल जिस पर हाथ रख देता था इस सीट पर विजय हो जाता था मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में मानकर जनता ने ग्वालियर क्षेत्र से हाथ मजबूत कर प्रदेश में सरकार बनबाने में महत्वपूर्ण योगदान दी।लेकिन चुनाव के बाद मुख्यमंत्री का चेहरे को ही बदल दिया और मध्यप्रदेश में कमलनाथ ने मुख्यमंत्री की शपथ दिलाई गई। अब लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण में भी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की अनदेखी ग्वालियर क्षेत्र में की गई ।इस अनदेखी से अपने क्षेत्र में ही ज्योतिरादित्य सिंधिया कमजोर नजर आ रहे है । कांग्रेस द्वारा कल जारी की गई सूची में ग्वालियर से तीन बार के हारे प्रत्याशी अशोक सिंह को फिर से मैदान में उतारा है अशोक सिंह मुख्यमंत्री एव पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी माने जाते है। भिंड से देवाशीष जरारिया एव धार से दिनेश गिरवाल को मैदान उतारा है बात करे कल जारी इस सूची में ज्योतिरादित्य सिंधिया की नही चली इन तीनो प्रत्याशी मुख्यमंत्री कमलनाथ एव पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समर्थक माने जाते है बात करे कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के क्षेत्र ग्वालियर व भिंड में अनदेखी की गई क्योंकि ग्वालियर से सिंधिया मोहन राठौर, या सुनील शर्मा एव भिंड बारेलाल जाटव को टिकट के पक्ष में थे
विधानसभा चुनाव में एक और सिंधिया को चेहरे के दम पर सरकार बनाने के बाद लोकसभा में अनदेखी करना का मतलब ज्योतिरादित्य सिंधिया को उसी के क्षेत्र में कमजोर करना तो नही है???
विधानसभा चुनाव में एक और सिंधिया को चेहरे के दम पर सरकार बनाने के बाद लोकसभा में अनदेखी करना का मतलब ज्योतिरादित्य सिंधिया को उसी के क्षेत्र में कमजोर करना तो नही है???