राजनीतिक हलचल-भाजपा और कांग्रेस की तमाम माथापच्ची के बाद आखिरकार मुरैना से प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं । भाजपा की ओर से ग्वालियर से वर्तमान सांसद और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस की ओर से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष और मुरैना से लोकसभा में पूर्व पराजित प्रत्याशी रामनिवास रावत मैदान में है । मुख्य दलों भाजपा और कांग्रेस के अलावा बसपा ने भी यहाँ अपना उम्मीदवार घोषित किया है । बसपा ने भिंड से पूर्व सांसद डॉ रामलखन सिंह को उम्मीदवार बनाया है, बसपा ने यहाँ मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।
भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र सिंह तोमर का ग्वालियर में विरोध होने के कारण उनके सीट बदलने की तमाम अटकलें चल रहीं थीं और आखिरकार सीट बदलकर मुरैना से चुनावी मैदान में है, यहाँ भी तोमर की राह आसान नहीं है क्योंकि प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही क्षेत्र में पार्टी की ओर से वर्तमान सांसद अनूप मिश्रा और टिकिट की दौड़ में प्रबल दावेदार रहे मुरैना महापौर अशोक अर्गल सहित अपनी ही पार्टी के बीच विरोध के स्वर सुनाई दे रहे हैं । नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर से पहले मुरैना से ही सांसद थे लेकिन यहाँ से विरोध के चलते ही वे ग्वालियर गए थे ।
भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र सिंह तोमर का ग्वालियर में विरोध होने के कारण उनके सीट बदलने की तमाम अटकलें चल रहीं थीं और आखिरकार सीट बदलकर मुरैना से चुनावी मैदान में है, यहाँ भी तोमर की राह आसान नहीं है क्योंकि प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही क्षेत्र में पार्टी की ओर से वर्तमान सांसद अनूप मिश्रा और टिकिट की दौड़ में प्रबल दावेदार रहे मुरैना महापौर अशोक अर्गल सहित अपनी ही पार्टी के बीच विरोध के स्वर सुनाई दे रहे हैं । नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर से पहले मुरैना से ही सांसद थे लेकिन यहाँ से विरोध के चलते ही वे ग्वालियर गए थे ।
वहीं रामनिवास रावत कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं और उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया का बेहद करीबी माना जाता है ,रावत दिग्गी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं और मुरैना से 2009 में लोकसभा में मात खा चुके हैं, इतना ही अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में आदिवासी नेता और भाजपा प्रत्याशी सीताराम आदिवासी से विजयपुर विधानसभा से चुनाव हार चुके हैं ।
तोमर और रावत अपने ही दलों के दिग्गज नेता तो माने जाते हैं लेकिन एक को अपनी ही पार्टी के हारे हुए विधायकों के विरोध को झेलना पड़ेगा तो दूसरे को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में खुद की हार नुकसान पहुंचा सकती है ।
बसपा ने मुकाबला और भी दिलचस्प बना दिया है, डॉ रामलखन सिंह बसपा से सांसद रहे हैं और वर्तमान में उनके पुत्र बसपा की ओर से विधायक हैं । मुरैना- श्योपुर लोकसभा क्षेत्र में बसपा बजूद माना जाता हैं, मध्यप्रदेश में बसपा के दो विधायकों में से एक मुरैना से है तो अन्य विधानसभा क्षेत्र में बसपा ने कड़ी टक्कर दी । इतना ही नहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में मुरैना संसदीय क्षेत्र से बसपा प्रत्याशी वृन्दावन सिंह सिकरवार ने भाजपा के अनूप मिश्रा को कड़ी टक्कर दी और दूसरे नम्बर पर रहे ।
तीनों दिग्गजों के बीच कड़ा मुकाबला तो होगा ही लेकिन राजनीतिक पंडितों का गणित काम नहीं कर रहा है, हर कोई नए सिरे से अपनी अपनी गणना में लगा हुआ है, अब ये तो आने वाला समय ही बताएगा कि जीत का ऊँट किस करवट बैठेगा ।
तोमर और रावत अपने ही दलों के दिग्गज नेता तो माने जाते हैं लेकिन एक को अपनी ही पार्टी के हारे हुए विधायकों के विरोध को झेलना पड़ेगा तो दूसरे को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में खुद की हार नुकसान पहुंचा सकती है ।
बसपा ने मुकाबला और भी दिलचस्प बना दिया है, डॉ रामलखन सिंह बसपा से सांसद रहे हैं और वर्तमान में उनके पुत्र बसपा की ओर से विधायक हैं । मुरैना- श्योपुर लोकसभा क्षेत्र में बसपा बजूद माना जाता हैं, मध्यप्रदेश में बसपा के दो विधायकों में से एक मुरैना से है तो अन्य विधानसभा क्षेत्र में बसपा ने कड़ी टक्कर दी । इतना ही नहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में मुरैना संसदीय क्षेत्र से बसपा प्रत्याशी वृन्दावन सिंह सिकरवार ने भाजपा के अनूप मिश्रा को कड़ी टक्कर दी और दूसरे नम्बर पर रहे ।
तीनों दिग्गजों के बीच कड़ा मुकाबला तो होगा ही लेकिन राजनीतिक पंडितों का गणित काम नहीं कर रहा है, हर कोई नए सिरे से अपनी अपनी गणना में लगा हुआ है, अब ये तो आने वाला समय ही बताएगा कि जीत का ऊँट किस करवट बैठेगा ।