गुना-शिष्य ने गुरु को किया चारों खाने चित्त



योगेन्द्र जैन पोहरी-चुनावी मैदान में उतरने वाले कई उम्मीदवार ऐसे होते हैं, जिनकी जीत को लेकर पूरा देश निश्चिंत रहता है। हर पार्टी में ऐसे कई स्टार कैंडिडेट होते हैं जिनके बारे में माना जाता है कि वो जिस सीट से खड़े हो रहे हैं, वहां से उनकी जीत तय है, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में ऐसे कई नेताओं की अपराजेय छवि धूमिल हुई है।
चुनावी इतिहास में यह पहली बार होगा जब गुना लोकसभा सीट से सिंधिया परिवार के किसी सदस्य को हार का सामना करना पड़ सकता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना लोकसभा सीट पर पिछले चार लोकसभा चुनावों से लगातार जीत हासिल करते आए हैं। ग्वालियर के बाद गुना को सिंधिया परिवार का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है, लेकिन इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया को यहां से अप्रत्याशित हार का स्वाद चखना पड़ सकता है। उनके सामने भाजपा उम्मीदवार डॉ. केपी सिंह यादव को खड़ा किया था, जिन्होंने सिंधिया को रुझान में काफी पीछे छोड़ दिया है। सिंधिया 1लाख 10 हजार से ज्यादा वोटों से पीछे चल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि डॉ. केपी यादव मूल रूप से कांग्रेसी है। मुंगावली उपचुनाव के दौरान टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर उन्होंने गुना में सिंधिया के खिलाफ भाजपा का झंडा उठा लिया था। एमपी आम चुनावों में भाजपा ने केपी को मुंगावली से टिकट भी दिया था, लेकिन वह मामूली अंतर से हार गये थे। परंतु भाजपा का उन पर विश्वास कायम रहा और अब लोकसभा का टिकट सिंधिया के खिलाफ ही दे दिया। डॉ. केपी अब सिंधिया के खिलाफ निर्णायक बढ़त बनाकर जीत की ओर बढ़ रहे है। लगभग एक लाख से ज्यादा वोटों से उनकी जीत का अनुमान है।

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