पुरुषार्थ करो, भाग्य के भरोसे मत बैठो : आचार्य विमद सागरजी



रींछा -सुपार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में विराजमान आचार्य विमद सागरजी ने शनिवार को धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बिना पुरुषार्थ के कुछ भी संभव नहीं है। आदमी हमेशा एक ही बात कहता है भाग्य कमजोर है पर भाग्य कमजोर नहीं होता भाग्य तो बलवान है पर भावना कमजोर है श्रद्धा कमजोर है। पुरुषार्थ के द्वारा भाग्य बलवान होगा रोने से नहीं जितना समय रोने में लगाते हो अगर उतना समय भगवान की भक्ति में लगाया होता तो कर्म कटता और भाग्य बलवान हो जाता। एक व्यक्ति नाम से जैन है,एक व्यक्ति जाति से जैन है एवं एक आचरण से जैन होता है आचरण से जैन वह होता है जो बिना छाने पानी नहीं पीता है नाम और जाति के जैन तो बहुत हैं पर आचरण के जैन बहुत कम हैं। नाम और जाति के नहीं आचरण के जैन बनना चाहिए। आज के समय में व्यक्ति ने सब कुछ सेट कर के रखा हैं। जैसे सोफा सेट, पलंग सेट, डाइनिंग सेट अपने आप को भी सेट करो आप क्यों अपसेट हो रहे हो। पुरुषार्थ करो भाग्य के भरोसे मत बैठो।
      संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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