कोटा-संयम एक ऐसा मार्ग है जिस पर चलकर हम अपने जीवन को सुखमय और पवित्र बना सकते हैं। यदि इंसान जैन शास्त्रों में बताए संयम को जीवन में अंगीकार कर ले तो आत्मा की उन्नति अवश्य ही होगी। यह बात रविवार को पुण्योदय अतिशय क्षेत्र में चल रहे जिनागम शिक्षण संस्कार शिविर में पंडित श्री रतनलाल बेनाड़ा ने कही। उन्होंने कहा कि आज युवा पीढ़ी संस्कारों से विमुख होकर पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकर्षित हो रही है, जबकि वो पतन का मार्ग है। । शिविर में धार्मिक शिक्षा प्रदान की जा रही है। जैन संस्कृत शास्त्रों में तत्वार्थ सूत्र शास्त्र का वाचन कराया। इसमें चारों अनुयोग का वर्णन किया। प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरणानुयोग,द्रव्यानुयोग। प्रथमानुयोग में महापुरूषों की कथाएं, करणानुयोग में संसार की रचना के बारे में और जीव के भाव की विवेचना की। चरणानुयोग में जीव का चरित्र सिखाया। द्रव्यानुयोग सात प्रकार के तत्व व नौ पदार्थ की रचना व पालन के बारे में बताया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
