ग्वालियर-हमें अपने धर्म का गौरव करना चाहिए। जब भी किसी से मिलें तो जय जिनेंद्र के संबोधन के साथ स्वागत करना चाहिए। बच्चों को धन नहीं देना चाहिए बल्कि उनमें आदर्शमय धर्म के अच्छे संस्कार देना चाहिए। माता-पिता उनके जीवन में अच्छे संस्कारों का संचालन करते हैं तो वह अपने धर्म एवं जाति के बाहर विवाह नहीं करते। संस्कार नहीं देने से बच्चों में नैतिकता का पतन हो रहा है, वह अपने जीवन मूल्यों को भूल रहे हैं। अपनी धरोहर एवं धर्म संस्कृति को बचाना है तो बच्चो को धर्म संस्कार देना बहुता आवश्यक है। यह विचार मुनिश्री विहसंत सागर जी महाराज ने बुधवार को दानाओली स्थित दिगंबर जैन वरैया मंदिर में विरागोदय संस्कार शिविर को संबोधित कर रहे थे। मंच पर मुनिश्री विश्वसूर्य सागर जी महाराज भी मौजूद थे।
मुनिश्री ने कहा कि मानवता का सबसे बड़ा आभूषण मानव धर्म है, क्योंकि जब तक मनुष्य में मानवता नहीं होगी तब तक वह मात्र तन का ही मानव हो सकता है, मानवीय गुणों के अभाव मे वह चेतना रूप आत्मा का मानव नहीं हो सकता।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
मुनिश्री ने कहा कि मानवता का सबसे बड़ा आभूषण मानव धर्म है, क्योंकि जब तक मनुष्य में मानवता नहीं होगी तब तक वह मात्र तन का ही मानव हो सकता है, मानवीय गुणों के अभाव मे वह चेतना रूप आत्मा का मानव नहीं हो सकता।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
