दो सिंह ही जिता पाए कांग्रेस को


राजनीतिक हलचल-क्या मध्यप्रदेश और क्या राजस्थान समूचे देश में कांग्रेस चारों खाने चित्त हो गई ,खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी परम्परागत सीट नहीं बचा पाए तो मध्यप्रदेश में केवल कमलनाथ पुत्र ही खाता खोलने में कामयाब हो सके । मध्यप्रदेश में हाल ही में नवनिर्वाचित सरकार के मंत्री अपनी विधानसभा में कांग्रेस को बचा नहीं पाए । ग्वालियर अंचल में केवल दो सिंह ऐसे हैं जो अपने अपने क्षेत्र से कांग्रेस को जिता पाए ,हालांकि कयास लगाए जा रहे थे कि ये दोनों ही कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं इसका अपना अपना कारण था ।
आपको बता दें कि वो दो शेर पिछोर विधायक केपी सिंह "कक्का जू" और भितरवार विधायक कमलनाथ सरकार के मंत्री लाखन सिंह हैं । केपी सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और मध्यप्रदेश की पूर्व की कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रहे लेकिन इस बार सिंधिया और दिग्विजय सिंह की गुटबाजी के चलते उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली,उसके बाद से ही उनके भाजपा में शामिल होने की खबरें चल रही थी और साथ ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि केपी सिंह सिंधिया को लोकसभा चुनाव में नुकसान पहुंचा सकते हैं हालांकि सिंधिया चुनाव हार गए लेकिन पिछोर से चुनाव जीतकर गए हैं ।
लाखन सिंह यादव कमलनाथ सरकार में मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री है, लाखन सिंह के भतीजे संजय सिंह यादव युवा के ग्वालियर लोकसभा अध्यक्ष और राष्ट्रीय महासचिव होने के साथ ही राहुल गांधी के करीबी हैं और वे विधानसभा चुनाव से लेकर अब लोकसभा में भी ग्वालियर और मुरैना से अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे लेकिन ऐन वक्त पर मुरैना से रामनिवास रावत और ग्वालियर से अशोक सिंह को टिकिट देकर लाखन सिंह और संजय सिंह को नाराज कर दिया ,ऐसे में राजनीतिक पंडितों द्वारा भविष्यवाणी की जा रही थीं लाखन सिंह और संजय सिंह की अपनी भितरवार विधानसभा में सक्रियता किसी से छुपी नहीं है ऐसे में वे भितरघात कर सकते हैं और पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं लेकिन परिणाम इसके उलट आये ,भितरवार विधानसभा से अशोक सिंह जीत मिली । ऐसे में अंचल में केवल दो ही सिंह ऐसे थे जिन्होंने कांग्रेस को अपने अपने विधानसभा क्षेत्र में जीत दिलाने का काम किया ।

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