योगेंद्र जैन पोहरी-2019 का लोकसभा चुनाव कई मायनो में आने वाले समय मे याद रखा जाएगा। पहली बार भाजपा ने इतनी बड़ी जीत हासिल की है।इस चुनाव में 57 साल बाद किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत के साथ कई दिग्गज नेताओं की पृष्ठ भूमि को हिलाकर रख दिया है। भारतीय जनता पार्टी 2014 में मोदी लहर के बलबूते सत्ता में आई थी लेकिन कांग्रेस को क्या पता कि 2014 की मोदी लहर 2019 आते आते सुनामी में बदल जाएगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कांग्रेस के दिग्गज सहित राजा महाराजाओं को भी धूल चटा दी है।गांधी परिवार की पारम्परिक सीट अमेठी भी नही बचा पाए। इतना ही नही मोदी सुनामी में पहली बार 29 में से 28 सीट पर न केवल भाजपा ने एक बड़े अंतर के साथ हर सीट को अपने खाते में डाला है मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह,अरुण यादव पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, शांति लाल फुरिया, अजय सिंह, मीनाक्षी नटराजन के साथ 1957 से अपराजित सिंधिया परिवार का किला भी इस लोकसभा चुनाव में ढह गया।
मध्यप्रदेश में सिंधिया परिवार की परंपरागत सीट गुना ,जहाँ से राजमाता विजयाराजे सिंधिया से लेकर माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जीत हासिल की गुना सीट पर 1957 से अब तक कोई महल का व्यक्ति चुनाव नही हारा,कहा जाता है कि इस सीट पर दल मायने नही रखता है सिर्फ सिंधिया नाम ही काफी है और यही कारण है कि भाजपा ने हर बार अपना प्रत्याशी बदलकर देखा लेकिन 2014 की मोदी लहर में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ को जीत नही सकी, लेकिन 2019 के चुनाव में इस प्रकार से गुना शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से भाजपा के डॉ केपी यादव में महल को ऐसी हार दी है कि 23 को परिणाम के बाद महाराज कोप भवन में चले गए न तो हार को स्वयं सिंधिया पचा पा रहे है और न ही जनता के कानों को विश्वास हो रहा है कि सिंधिया चुनाव हार गए।लेकिन हो जो भी जनता ने तो कह दिया कि "माफ करो महाराज"
महल के खिलाफ मिली जीत के बाद गुना शिवपुरी संसदीय क्षेत्र की जनता को लगा कि महल के खिलाफ बड़ी जीत का तोफा मंत्री पद के रूप में डॉ केपी यादव को मिलेगा।लेकिन इस जीत को भाजपा ने नजरअंदाज कर मंत्री पद भी नही दिया गया क्षेत्र में मंत्री पद न मिलेग के चलते जनता में चर्चा का विषय बना हुआ है कि यहां जीत डॉ केपी यादव की है या मोदी की क्योंकि महल के खिलाफ जीत के बाद मंत्री पद न मिलने के बाद अब चर्चा का बाजारगर्मा गया है जनता इसे केपी की जीत नही मान रही है क्योंकि यदि डॉ केपी यादव की महल के खिलाफ जीत हुई है तो मंत्री पद क्योंकि नही मिला है लेकिन मंत्री पद डॉ केपी यादव को नही मिला तो कुछ कांग्रेस के साथियो में खुशी की लहर दौड़ गई है
मध्यप्रदेश में सिंधिया परिवार की परंपरागत सीट गुना ,जहाँ से राजमाता विजयाराजे सिंधिया से लेकर माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जीत हासिल की गुना सीट पर 1957 से अब तक कोई महल का व्यक्ति चुनाव नही हारा,कहा जाता है कि इस सीट पर दल मायने नही रखता है सिर्फ सिंधिया नाम ही काफी है और यही कारण है कि भाजपा ने हर बार अपना प्रत्याशी बदलकर देखा लेकिन 2014 की मोदी लहर में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ को जीत नही सकी, लेकिन 2019 के चुनाव में इस प्रकार से गुना शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से भाजपा के डॉ केपी यादव में महल को ऐसी हार दी है कि 23 को परिणाम के बाद महाराज कोप भवन में चले गए न तो हार को स्वयं सिंधिया पचा पा रहे है और न ही जनता के कानों को विश्वास हो रहा है कि सिंधिया चुनाव हार गए।लेकिन हो जो भी जनता ने तो कह दिया कि "माफ करो महाराज"
महल के खिलाफ मिली जीत के बाद गुना शिवपुरी संसदीय क्षेत्र की जनता को लगा कि महल के खिलाफ बड़ी जीत का तोफा मंत्री पद के रूप में डॉ केपी यादव को मिलेगा।लेकिन इस जीत को भाजपा ने नजरअंदाज कर मंत्री पद भी नही दिया गया क्षेत्र में मंत्री पद न मिलेग के चलते जनता में चर्चा का विषय बना हुआ है कि यहां जीत डॉ केपी यादव की है या मोदी की क्योंकि महल के खिलाफ जीत के बाद मंत्री पद न मिलने के बाद अब चर्चा का बाजारगर्मा गया है जनता इसे केपी की जीत नही मान रही है क्योंकि यदि डॉ केपी यादव की महल के खिलाफ जीत हुई है तो मंत्री पद क्योंकि नही मिला है लेकिन मंत्री पद डॉ केपी यादव को नही मिला तो कुछ कांग्रेस के साथियो में खुशी की लहर दौड़ गई है