कोटा -दादाबाड़ी स्थित नसियांजी में चल रहे जिनागम संस्कार शिविर में पंडित श्री रतन लाल जी बेनाड़ा ने कहा कि धर्मप्रेमियों को एक दिन के 24 घंटे को तीन हिस्सों में बांटना चाहिए। आठ घंटे शरीर, आठ घंटे कमाई और शेष आठ घंटे का वक्त धर्म और ध्यान के लिए लगाएं। चार घंटे सुबह और चार घंटे शाम को धर्म ध्यान में लगाना चाहिए। अपने चिंतन को गृहस्थी औ र व्यापार से हटाकर थोड़ा वक्त धर्म और ध्यान में लगाना चाहिए।
उन्होंने स्वाध्याय तप की चर्चा करते हुए कहा कि जिस उपदेश या प्रवचन का संबंध धर्म से हो, वही अगर प्रवचन में धर्म का उल्लेख नहीं हो, सम्यक दर्शन, ज्ञान, चारित्रिक, आत्मा की बात नहीं हो, तो वह उपदेश प्रवचन माना जाएगा, लेकिन स्वाध्याय नहीं माना जाएगा।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
उन्होंने स्वाध्याय तप की चर्चा करते हुए कहा कि जिस उपदेश या प्रवचन का संबंध धर्म से हो, वही अगर प्रवचन में धर्म का उल्लेख नहीं हो, सम्यक दर्शन, ज्ञान, चारित्रिक, आत्मा की बात नहीं हो, तो वह उपदेश प्रवचन माना जाएगा, लेकिन स्वाध्याय नहीं माना जाएगा।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
