बंडा-ज्ञानधारा ग्रंथ पर प्रकाश डालते हुए आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी ने कहा है आत्मन तुम्हारी विस्मरण शक्ति इतनी तीव्र क्यो हो रही है जो तुम उन्हें भूल रहे हो। जो तुम्हारी भूलो को मिटाने मे सक्षम है। अतः उन्हें न भूले जिनके वचनों द्वारा बचना है। प्रभु के वह वचन जो हर वक़्त पर सतपथ दिखलाते है, सोये हुए को जगाते है, जागे हुए को चलाते है और चलते हुए को मंज़िल तक पहुचाते है।
कही बार ऐसा भी होता है जिन्हे भूलना चाहते है उनको भूल नही पाते और जिन्हें नही भूलना उन्हें भूल जाते है ऐसी विपरीत दशा क्यो होती है। कहते है कि चाहते हुए भी कुछ नही कर पाते है। अरे वह चाहत कैसे जो हमसे ही उत्पन्न हो और हम ही उसे पुरी न कर पाए ऐसी चाह दाह उत्पन्न कर जीवन तबाह कर देती है। अतः ध्यान रखना है । जिन बुराई विकारों से बचना है। उन्हे कर्मोदय के वक़्त पर भी हमे भूलना नही है, क्योकि स्वभाव रहने से ही लाभ है। आर्यिका माताजी ने कहा जैसे जैसे क्रोध का उदय आया और क्रोध के सारे निमित भी मिल रहे है। ऐसे क्षणों मे पर्युषण मनाया गया उत्तम क्षमा का दिन नही भूलना नही है। क्षमा से क्रोध पर विजय करना भूल नही जाना।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमण्डी
कही बार ऐसा भी होता है जिन्हे भूलना चाहते है उनको भूल नही पाते और जिन्हें नही भूलना उन्हें भूल जाते है ऐसी विपरीत दशा क्यो होती है। कहते है कि चाहते हुए भी कुछ नही कर पाते है। अरे वह चाहत कैसे जो हमसे ही उत्पन्न हो और हम ही उसे पुरी न कर पाए ऐसी चाह दाह उत्पन्न कर जीवन तबाह कर देती है। अतः ध्यान रखना है । जिन बुराई विकारों से बचना है। उन्हे कर्मोदय के वक़्त पर भी हमे भूलना नही है, क्योकि स्वभाव रहने से ही लाभ है। आर्यिका माताजी ने कहा जैसे जैसे क्रोध का उदय आया और क्रोध के सारे निमित भी मिल रहे है। ऐसे क्षणों मे पर्युषण मनाया गया उत्तम क्षमा का दिन नही भूलना नही है। क्षमा से क्रोध पर विजय करना भूल नही जाना।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमण्डी
