भीलूदा-सकल दिगंबर जैन समाज भीलूड़ा के तत्वाधान में चल रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन पांडाल में तप कल्याणक के दौरान भगवान का विधि-विधान पूर्वक राज्याभिषेक हुआ एवं शाम को दीक्षा विधि संस्कार किया गया।
सुबह अभिषेक कर शांतिधारा की गयी। इसके बाद नित्य पूजा व जन्मकल्याणक पूजा कर शांति हवन किया गया। यहां वेदी एवं मांडला पर बनाएं याग मंडल पर रखी गई प्रतिमाओं का श्रद्धालुओं ने दर्शन किया। प्रतिष्ठाचार्य महावीर जैन ने विधान के दौरान प्रतिष्ठान एवं मंत्रोच्चार का महत्व बताया। दोपहर में लगे राजदरबार में भगवान का राज्याभिषेक किया गया।
मैत्री छोड़ना नहीं और बेर पालना नहीं
: आचार्य सुनील सागर जी महाराज ने कहा कि जीवन में वहीं व्यक्ति मंजिल पाता है जो कोशिश करता है। असफलता से हताश नहीं होने की सीख देते हुए कहा कि मैत्री छोड़ना नहीं और बेर पालना नहीं। हमारी सफलता में बाधक बनने वाले के प्रति भी हमें अपना धर्म निभाना है क्योंकि जहां धर्म है वहीं विजय है अधर्म से प्राप्त विजय स्थायी नहीं होती। शक्ति किसी को हराने के लिए नहीं होती शक्ति तो कमजोर का उठाने के लिए होनी चाहिए। हमारी संस्कृति में तो इंसान ही नहीं बल्कि प्रकृति व पर्यावरण को भी संरक्षण देने के भाव है। उन्होंने कहा कि भारत की पहचान विश्व में अपने आचार-विचार के कारण से ही है। हमारा जीवन जीयो व जीने दो के सिद्धान्त पर चल रहा है। आचार्य ने अन्न व पानी का सम्मान करने की बात कहते इसके दुरूपयोग को रोकने का आव्हान किया। बेरोजगारों से कहा कि नौकरी मांगने की नहीं नौकरी देने की सोच रखो और अपने परंपरागत हुनर में इतना निखार लाए कि आप दूसरों को नौकरी दे सके। इस मौके पर सांसद कनकमल कटारा यहां पहुंचे और आचार्य का आशीर्वाद लिया। प्रधान रेखा रोत भी उपस्थित थी।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
सुबह अभिषेक कर शांतिधारा की गयी। इसके बाद नित्य पूजा व जन्मकल्याणक पूजा कर शांति हवन किया गया। यहां वेदी एवं मांडला पर बनाएं याग मंडल पर रखी गई प्रतिमाओं का श्रद्धालुओं ने दर्शन किया। प्रतिष्ठाचार्य महावीर जैन ने विधान के दौरान प्रतिष्ठान एवं मंत्रोच्चार का महत्व बताया। दोपहर में लगे राजदरबार में भगवान का राज्याभिषेक किया गया।
मैत्री छोड़ना नहीं और बेर पालना नहीं
: आचार्य सुनील सागर जी महाराज ने कहा कि जीवन में वहीं व्यक्ति मंजिल पाता है जो कोशिश करता है। असफलता से हताश नहीं होने की सीख देते हुए कहा कि मैत्री छोड़ना नहीं और बेर पालना नहीं। हमारी सफलता में बाधक बनने वाले के प्रति भी हमें अपना धर्म निभाना है क्योंकि जहां धर्म है वहीं विजय है अधर्म से प्राप्त विजय स्थायी नहीं होती। शक्ति किसी को हराने के लिए नहीं होती शक्ति तो कमजोर का उठाने के लिए होनी चाहिए। हमारी संस्कृति में तो इंसान ही नहीं बल्कि प्रकृति व पर्यावरण को भी संरक्षण देने के भाव है। उन्होंने कहा कि भारत की पहचान विश्व में अपने आचार-विचार के कारण से ही है। हमारा जीवन जीयो व जीने दो के सिद्धान्त पर चल रहा है। आचार्य ने अन्न व पानी का सम्मान करने की बात कहते इसके दुरूपयोग को रोकने का आव्हान किया। बेरोजगारों से कहा कि नौकरी मांगने की नहीं नौकरी देने की सोच रखो और अपने परंपरागत हुनर में इतना निखार लाए कि आप दूसरों को नौकरी दे सके। इस मौके पर सांसद कनकमल कटारा यहां पहुंचे और आचार्य का आशीर्वाद लिया। प्रधान रेखा रोत भी उपस्थित थी।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
