भीलूडा-दिगंबर जैन समाज की ओर से आदिनाथ जिन बिम्ब पंच कल्याण महोत्सव के अंतिम दिन मोक्ष कल्याण दिवस मनाया। भगवान शांतिनाथ, नेमिनाथ एवं चंद्रप्रभु की प्रतिमाएं जयकारों के साथ प्रतिष्ठित की गई। मोक्ष कल्याण का शुभारंभ जिनेन्द्र देव के अभिषेक के साथ हुआ। प्रतिष्ठाचार्य पंडित महावीर गिगला द्वारा विधि विधान से जिनेन्द्र देव की पूजा अर्चना करने के बाद आचार्य सुनील सागर जी महाराज ने कहा कि दुख में दुखी हो और सुख में सुखी हो वो आत्मा और जो सभी कर्मों का कर दे खात्मा उसे कहते है परमात्मा। उन्होंने आदिनाथ और शिव को एक ही रूप बताते कहा कि आदिनाथ और शिव की कई बातें एक है आदिनाथ का चिन्ह वृषभ है और शिव के साथ नंदी है। आदिनाथ कैलाश पर्वत पर मोक्ष गए और शिव ने भी कैलाश पर्वत पर तपस्या की। ये समानताएं बताती है कि भगवान एक ही लेकिन उसके रूप अनेक है। उन्होंने आज भाई-भाई में हो रहे झगड़ों पर कहा कि राम के भाई भरत से प्रेरणा लो जिसने भाई के सम्मान में राज मिलने के बाद भी उस राज सिंहासन को त्याग दिया।
प्रवचन के बाद प्रतिष्ठित प्रतिमाओं के साथ भव्य शोभा यात्रा हाथी, घोड़े व गाजे-बाजे के साथ अयोध्या नगरी से निकाली गई। यह विभिन्न मार्गों से होते हुए दिगंबर जैन मंदिर पहुंची। मंदिर में पहले शांतिनाथ भगवान की प्रतिमा आचार्य सुनील सागर जी महाराज के सानिध्य में प्रतिष्ठाचार्य ने स्थापित करवाई इसके बाद नेमीनाथ एवं चंद्राप्रभु की प्रतिमाएं जयकारों के साथ प्रतिष्ठित की गई। प्रवक्ता धर्मेंद्र जैन ने बताया कि शुक्रवार को हुमड़ समाज के हर गांव से आने वाले प्रतिनिधियों की उपस्थिति में आचार्य के चातुर्मास की घोषणा की जाएगी।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
