चमत्कारजी-आर्यिका विशुद्धमति के सानिध्य एवं आर्यिका विज्ञमति की प्रेरणा से स्वर्ण विशुद्ध वर्षायोग समिति के तत्वावधान में सकल दिगम्बर जैन समाज द्वारा आलनपुर स्थित दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र चमत्कारजी परिसर में 16 दिवसीय गणधर वलय स्त्रोत सेमीनार का समारोहपूर्वक शुभारम्भ किया गया।
वर्षायोग समिति के प्रवक्ता प्रवीण कुमार जैन ने बताया कि सेमिनार का शुभारम्भ विधि-विधानपूर्वक धार्मिकजनों द्वारा ध्वजारोहण के साथ किया गया। इससे पूर्व उमेश जैन शास्त्री के निर्देशन में पंचपरमेष्ठी परचम के प्रतीक ध्वज की अष्ट द्रव्यों से मंत्रोचारपूर्वक पूजा की गई। इस दौरान लहर-लहर लहराए केसरिया -झंडाजिनमत का ओ जी... की स्वर लहरिया गूंज रही थी। इस दौरान गणधर कलश की स्थापना की गई।
आचार्य श्रीविमल सागरजी,आचार्यश्री सन्मति सागरजी,आचार्यश्री निर्मल सागरजी एवम आचार्यश्री भरतसागर जी चित्रों का अनावरण, विश्व शांति की कामना के साथ मांगलिक मंत्रों से दीपक प्रज्जवलन, रजत अर्ध्य समर्पण, पांडाल में रजत पुष्प वृष्टि, आर्यिका विशुद्धमति माताजी के सानिध्य व, आर्यिका विज्ञमति के निर्देशन में विधिवत रुप से सम्पन्न की गई।
आर्यिका विशुद्धमति माताजी ने अपने मंगल उद्बोधन में प्रशिक्षणार्थियों को धर्म की राह पर चलकर गणधर बनने का पुरूषार्थ करने पर जोर देते हुए जीवन को धन्य एवं मंगल बनाने का आशीर्वाद दिया। मंच संचालन आर्यिका विज्ञमति ने किया। 8 अगस्त तक चलने वाली धार्मिक संस्कारों से युक्त सेमीनार में प्रतिदिन सुबह 8 से 9.30 बजे तक 24 तीर्थंकरों के 1452 गणधरों की विशद व्याख्या, मंत्रों का शुद्ध उच्चारण, काव्य स्रोतों का महत्व समझाते हुए जीवन को नई दिशा प्रदान करने वाली ज्ञानवर्धक एवं आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान की जाएगी। इस दौरान वर्षायोग समिति, विशुद्ध वर्धनी महिला मण्डल के पदाधिकारीगण, स्थानीय समाजजनों सहित कोटा, जयपुर एवं दूर-दराज से आए प्रबुद्धजन मौजूद थे
वर्षायोग समिति के प्रवक्ता प्रवीण कुमार जैन ने बताया कि सेमिनार का शुभारम्भ विधि-विधानपूर्वक धार्मिकजनों द्वारा ध्वजारोहण के साथ किया गया। इससे पूर्व उमेश जैन शास्त्री के निर्देशन में पंचपरमेष्ठी परचम के प्रतीक ध्वज की अष्ट द्रव्यों से मंत्रोचारपूर्वक पूजा की गई। इस दौरान लहर-लहर लहराए केसरिया -झंडाजिनमत का ओ जी... की स्वर लहरिया गूंज रही थी। इस दौरान गणधर कलश की स्थापना की गई।
आचार्य श्रीविमल सागरजी,आचार्यश्री सन्मति सागरजी,आचार्यश्री निर्मल सागरजी एवम आचार्यश्री भरतसागर जी चित्रों का अनावरण, विश्व शांति की कामना के साथ मांगलिक मंत्रों से दीपक प्रज्जवलन, रजत अर्ध्य समर्पण, पांडाल में रजत पुष्प वृष्टि, आर्यिका विशुद्धमति माताजी के सानिध्य व, आर्यिका विज्ञमति के निर्देशन में विधिवत रुप से सम्पन्न की गई।
आर्यिका विशुद्धमति माताजी ने अपने मंगल उद्बोधन में प्रशिक्षणार्थियों को धर्म की राह पर चलकर गणधर बनने का पुरूषार्थ करने पर जोर देते हुए जीवन को धन्य एवं मंगल बनाने का आशीर्वाद दिया। मंच संचालन आर्यिका विज्ञमति ने किया। 8 अगस्त तक चलने वाली धार्मिक संस्कारों से युक्त सेमीनार में प्रतिदिन सुबह 8 से 9.30 बजे तक 24 तीर्थंकरों के 1452 गणधरों की विशद व्याख्या, मंत्रों का शुद्ध उच्चारण, काव्य स्रोतों का महत्व समझाते हुए जीवन को नई दिशा प्रदान करने वाली ज्ञानवर्धक एवं आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान की जाएगी। इस दौरान वर्षायोग समिति, विशुद्ध वर्धनी महिला मण्डल के पदाधिकारीगण, स्थानीय समाजजनों सहित कोटा, जयपुर एवं दूर-दराज से आए प्रबुद्धजन मौजूद थे
संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी

