अलवर -आचार्य श्री विनम्र सागर जी महाराज का 17 पिच्छियों के साथ रविवार काे जैन भवन में चातुर्मास प्रारंभ हुआ। झंडाराेहण के साथ मंगल पावन कलश स्थापना की गई। झंडारोहण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। पाद प्रक्षालन किया। इसके बाद आचार्य संघ काे शास्त्र भेंट किए गए। इस अवसर पर आचार्य श्री विनम्र सागर जी महाराज ने कहा चातुर्मास एवं कलश स्थापना का महत्व बताते हुए कहा कि वर्षायोग का चार महीने का समय इंसान काे जीवन, संगती, किस्मत व संस्कारों को बदलने का होता है। इस अवधि में संतों का भरपूर सान्निध्य मिलता है। जिससे इंसान अपने जीवन को संस्कारों से जोड़ता है। संतों का साथ मिलने से धर्म की प्रभावना तो बढ़ती ही है साथ ही हम अपने जीवन को भी सात्विक बनाने की तरफ बढ़ते हैं। वे रविवार काे जैन में धर्मसभा काे संबाेधित कर रहे थे। उन्हाेंने चार माह की अवधि में लाेगाें से जमीकंद वस्तुओं त्याग करने काे कहा। उन्हाेंने चातुर्मास के लिए मंगल कलश की गई स्थापना के महत्व के बारे में भी बताया। चातुर्मास समापन पर जब यह कलश जिस श्रद्धालु के घर में जाता है वह परिवार बड़ा ही पुण्यशाली होता है। उन्हाेंने कहा कि वर्षा याेग में 50 लाख मंत्राें का भी जाप हाेगा। इससे पहले आर्यिका माताजी ने अपने प्रवचनों में गुरु की महिमा के बारे में बताया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी