दुनिया दो दिन का मेला है,मानव जीवन चिन्तामणि रत्न है


कोटा (राज)-मानव जीवन चौरासी लाख योनियों में भटके के बाद मिला है। चिन्तामणि रत्न के समान कीमती है। एक एक पल बहुत मूल्यवान है। इसका सदुपयोग करना चाहिए। जीवन मे सदैव सकारात्मक रहे। यदी सोच सुन्दर होगी तो संसार सुन्दर लगेगा। स्वर्ग और नर्क की यात्रा सोच पर  निभर्र करती है। यह दुनिया दो दिन का मेला है। यहाँ कोई अपना नही है। सगे संबंधी ही चिता पर लेटा कर आग लगा देंगे। मानव का जीवन ढाई किलो की राख से ज्यादा इसकी कीमत नही है।*
*उक्त उदगार गुरु माँ सौम्यनंदनी माता जी ने महावीर नगर द्वितीय स्थित श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में व्यक्त किये।*
*मंदिर समिति के अध्यक्ष दर्पण जैन महामंत्री ललित पाटनी ने बताया कि धर्म सभा मे मंगलदीप प्रजवल्लन एवं  श्री तेजमल जी जैन परिवार ने किया।शास्त्र भेट ओर पाद प्रक्षालन की मांगलिक क्रियाये भी की गई । सर्व प्रथम मंगलाचरण पाठ हुआ।*
*धर्मसभा का सफल संचालन विकास जैन "पाटौदी" ने किया। *धर्मसभा में सकल दिगम्बर जैन समाज समिति के अध्यक्ष विमल चंद जैन नांता राजकुमार पाटौदी  राष्ट्रीय संवाद दाता पारस जैन* *पार्श्वमणि ने श्रीफल भेंट कर मंगल आशीर्वाद  लिया।*
*माता जी ने आगे साठ साल की उम्र के बाद कोन,मोन,नोन,पोन चार चीजे करना चाहिए। एक तरफ बैठ जाना चाहिए। जो मिले खा लेना चाहिए।पवन (हवा) की तरह रहना चाहिए।मरते वक्त सुई भी साथ नही जायेगी। धन वैभव दौलत सम्पति महल सोना चांदी सब यही रह जाएंगे। एक मात्र धर्म ही साथ जाएगा। सदैव सद कर्म करे।*
*प्रस्तुति : राष्ट्रीय संवाद दाता*
*पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार*

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