सिंधिया का गुना से मोहभंग..???



ग्वालियर-चंबल अंचल के कद्दावर नेता गुना -शिवपुरी में अपनी हार के बाद से अब ग्वालियर में अपनी राजनैतिक जमीन तलाश रहे हैं। इसके चलते उन्होंने कांग्रेस कार्यालय में कार्यकर्ताओं से भेंट की और उनसे सरकार के काम काज के बारे में पूछा। सिंधिया ने जहां ट्रांसफर और पोस्टिंग से कार्यकर्ताओं को दूर रहने की नसीहत दी वहीं वह स्वयं अपने लिये नई जमीन के रूप में ग्वालियर संसदीय क्षेत्र को फिर से तलाश रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि सिंधिया के पिता ने भाजपा के कददावर नेता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को ग्वालियर संसदीय सीट से हराया था। उसके बाद भाजपा नेता तत्कालीन बजरंग दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयभान सिंह पवैया के सामने सिंधिया के पिता स्व. माधवराव सिंधिया हारते हारते बचे थे। वह मात्र २५ हजार वोटों से ग्वालियर से चुनाव जीत पाये थे। उसके बाद से माधव राव ग्वालियर छोड कर गुना संसदीय सीट पर चले गये। माधवराव की मृत्यु के बाद से ज्योतिरादित्य गुना से चुनाव लड़ रहे थे। २०१९ के लोकसभा चुनावों में वह डॉ. केपी सिंह यादव से चुनाव हार गये। इसके बाद से वह जहां अंडरग्राउंड रहे अब फिर सक्रिय राजनीति में दिखाई देने लगे। अब सिंधिया का गुना से मन उचट गया है । वह अब गुना लोकसभा सीट को तिलांजलि देकर ग्वालियर में अपनी किस्मत अजमाना चाहते हैं। ज्योतिरादित्य की सोच है कि वह अपना अगला लोकसभा का चुनाव ग्वालियर से लडें और जीतकर संसद में पहुंचें। इसी के चलते वह प्रशासन को भी विकास कार्यों के गुण बता रहे हैं और अपनी जमीन को तैयार कर रहे हैं। अब देखना है कि गुना-शिवपुरी में केवल कांग्रेस नेताओं कार्यकर्ताओं की मुंह दिखाई के चलते चुनाव हारे सिंधिया क्या अब फिर उसी प्रकार से मुंह दिखाई करने वालों को पास रखेंगे या फिर उनसे किनारा करेंगे। यदि सिंधिया ने मुंह दिखाने वालों को बढावा दिया तो वह गुना को ग्वालियर में भी दोहरायेंगे।

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