जीव हत्या कम हो और ज्यादा से ज्यादा तप किया जाए, इसलिए होता है चातुर्मास सुनील सागर जी महाराज




सागवाड़ा-चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य सुनीलसागर जी महाराज ने कहा कि चातुर्मास में सबसे ज्यादा जीव जन्म लेते हैं। जीव हत्या कम हो और ज्यादा से ज्यादा तप किया जाए, इसके लिए चातुर्मास किया जाता है। यह बात आचार्य सुनीलसागर महाराज ने शनिवार को पुनर्वास कॉलोनी के विमलनाथ दिगंबर जैन मंदिर में प्रेस वार्ता में कही। महाराज ने कहा कि सागवाड़ा का जैन समाज लंबे समय से चातुर्मास के लिए प्रयासरत था, वह योग अब आया है। आचार्य ने आगम और अगम के बारे में बताते हुए कहा कि प्राचीन धर्म शास्त्र संस्कृत, ब्राह्मी और प्राकृत भाषा में उपलब्ध हैं। बेशक सामान्य जनता में हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी का चलन बढ़ना चाहिए, लेकिन साथ ही प्राचीन भाषाओं का ज्ञान भी होना चाहिए।
राष्ट्र भाषा का गौरव बढ़ाने के लिए हम सभी प्रयास कर रहे हैं। केंद्र सरकार की बजट घोषणा पर बोलते हुए आचार्य ने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ कि बजट की प्रति को लाल कपड़े में लपेट कर लाया गया और घोषणा की गई, वरना अब तक चमड़े के बैग में लाकर बजट घोषित होता था। इस बार ऐसा नहीं हुआ यह गौरव की बात है। एक जीव की हत्या होने से बची। उन्होंने स्कूली शिक्षा में नैतिक शिक्षा को बढावा देने की आवश्यकता जताते हुए कहा कि संत और महापुरुषों के चरित्र पढ़ा-सुना कर बच्चों में चरित्र निर्माण सहज होता है। महाराज ने किसानों की चिंता करते हुए कहा कि किसानों के लिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि कोई किसान आत्महत्या के लिए मजबूर न हो। आचार्य ने अपने गुरु का स्मरण करते कहा कि 30 वर्ष पूर्व उनके गुरु संमतिसागरजी महाराज ने सागवाड़ा में चातुर्मास किया था, अब हमें मौका मिला है। सागवाड़ा के लोग भी बड़े भाग्यशाली हैं जो सब आपस में मिलकर रहते है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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