निराशा और हताशा को हावी नहीं होने दे सुनील सागर जी महाराज


सांगवाड़ा -जैन मंदिर के सौभाग्यमति सभा भवन में धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज  ने कहा कि जैसी मन की स्थिति है वैसे हम बन जाते हैं। व्यक्ति जैसा सोचता है वैसा बन जाता है। नेचर और सिग्नेचर जीवन में कभी भी बदल सकते हंै। दिल पर चोट लगने से नेचर बदल जाता है और हाथ पर चोट लगने से सिग्नेचर बदल जाता है। आचार्य ने निराशा और हताशा को अपने पर कभी भी हावी नहीं होने देने की सीख देते हुए कहा कि आदमी उम्र से बूढ़ा नहीं होता, जब वह मन से हार जाता है तो बूढ़ा हो जाता है।
     संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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