गोटेगांव-आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी ने समय की महत्ता बताते हुए कहा कि जीवन की यह गाड़ी चलती जा रही है। समय रोक तो सकते नही लेकिन हम जीवन को ऊपर उठाने का पुरुषार्थ करे। चंचल मन भटकने से रोके।
आर्यिका श्री ने कहा धन्य व जीव जो अपने आप मे स्थिर हो गए। बाहर के रत्न कोई काम के नही है। अंदर के रत्न जो तीन रत्न है उन रत्नत्रय को प्राप्त करने वालो को किसी चीज़ की जरूरत नही होती। माताजी ने कहा आचार्य कुन्दकुन्द ने धारण किया आचार्य श्री विद्यासागर जी धारण किया और जगत पूज्य बन गए।
स्वयं मे लौटने का प्रयास करो
आर्यिका श्री ने कहा चेतन तो राजा है, मन का भी राजा है फ़िर क्यो नही हमारी दृष्टि यह नही मानती की मैं तो सिर्फ एक आत्मा हु। वह आत्मा जिसमे अनंत गुण विद्यमान है, उन गुणों की पहचान तो कर और स्वयं में लौटने का प्रयास करो
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी
आर्यिका श्री ने कहा धन्य व जीव जो अपने आप मे स्थिर हो गए। बाहर के रत्न कोई काम के नही है। अंदर के रत्न जो तीन रत्न है उन रत्नत्रय को प्राप्त करने वालो को किसी चीज़ की जरूरत नही होती। माताजी ने कहा आचार्य कुन्दकुन्द ने धारण किया आचार्य श्री विद्यासागर जी धारण किया और जगत पूज्य बन गए।
स्वयं मे लौटने का प्रयास करो
आर्यिका श्री ने कहा चेतन तो राजा है, मन का भी राजा है फ़िर क्यो नही हमारी दृष्टि यह नही मानती की मैं तो सिर्फ एक आत्मा हु। वह आत्मा जिसमे अनंत गुण विद्यमान है, उन गुणों की पहचान तो कर और स्वयं में लौटने का प्रयास करो
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी