गोटेगांव-आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी ने कहा शब्द वही होता है जिसका हम अलग अलग उपयोग करते है। उन्होंने कहा हमारे पास शब्द ज्ञान का भंडार है पर क्या हम उसे उपयोग मे लगाते है। हमारा सार समय घर परिवार के फेर मे लगा रहता है। स्वयं उपयोग मे लगता नही है। व्यर्थ कर्म बांधने मे लगे है एक एक कर्म जो हम बांध रहे है उसका फल हमको भोगना है और कोई भोगने वाला नही है।
आर्यिका माताजी ने कहा पहले स्वयं को बदले जब तक हम देव शास्त्र गुरु के चरणों मे नही झुकेगे तो हमारी संतान कैसे झुकेगी। पहले स्वयं बदले तभी तो सन्तान बदलेगी।
कम से कम इंसान को मत बांटो
आर्यिका माताजी ने मार्मिक उदगार प्रगट करते कहा हमने मन्दिर गिरजाघर को बांट दिया। धरती और आसमान को बांटा है पर कम से कम इंसान को तो मत बाटो । उन्होंने कहा यदि चित्त की वृत्ति संतुलित हो गयी तो मन की प्रवृत्ति भी सन्तुलित हो जायेगी।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी
आर्यिका माताजी ने कहा पहले स्वयं को बदले जब तक हम देव शास्त्र गुरु के चरणों मे नही झुकेगे तो हमारी संतान कैसे झुकेगी। पहले स्वयं बदले तभी तो सन्तान बदलेगी।
कम से कम इंसान को मत बांटो
आर्यिका माताजी ने मार्मिक उदगार प्रगट करते कहा हमने मन्दिर गिरजाघर को बांट दिया। धरती और आसमान को बांटा है पर कम से कम इंसान को तो मत बाटो । उन्होंने कहा यदि चित्त की वृत्ति संतुलित हो गयी तो मन की प्रवृत्ति भी सन्तुलित हो जायेगी।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

