सिंगोली-नगर में दिगंबर जैन मंदिर करीब 2 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रहा है। खासियत है कि मंदिर में किसी भी जगह लोहे का इस्तेमाल नहीं हो रहा। लोहे में जंग लगता ऐसे में समाजजन ने इसका उपयोग टाला है। करीब 300 साल पुराने मंदिर के स्थान पर नए मंदिर का निर्माण हो रहा है। इस तरह का क्षेत्र में यह पहला मंदिर है। राधौगढ़ के अलावा आसपास कहीं ऐसा मंदिर नहीं है। वहां प्रयोग सफल रहने के बाद सिंगोली में इसी प्रोजेक्ट को अमल में लाया जा रहा।
समाजजन ने मुनि श्री सुधासागर जी महाराज , प्रणम्यसागर जी महाराज व मुनि श्री चंद्रसागर जी महाराज की प्रेरणा से पुराने मंदिर के स्थान पर नए मंदिर का निर्माण शुरू कराया है। पूरा मंदिर ईंट, मिट्टी व सीमेंट से बनेगा। यूं तो निर्माण की शुरुआत 20 दिसंबर 2017 से हुई। पिछले दिनों में निर्माण ने गति पकड़ी। गुना के आर्किटेक्ट व कारीगर 50 गुणित 50 हिस्से में निर्माण कर रहे हैं। अब तक 3 लाख 50 हजार ईंटों का प्रयोग हो चुका है और करीब 1 लाख ईंटें और उपयोग में आएंगी।
सिंगोली में केवल ईंट से तैयार हो रहा मंदिर
सिंगाेली में बगैर लोहा इस्तेमाल किए दिगंबर जैन मंदिर का हो रहा निर्माण।
मंदिर में 5 वेदियां, 3 शिखर बनेंगे, छत डोम आकार की होगी
मंदिर में 5 वेदिया, 3 शिखर तथा छत डोम के आकार की बनेगी। मंदिर समिति पदाधिकारियों की सोच है कि लोहे से बने मंदिर की औसत आयु 300 साल ही होती है जबकि ईंट, मिट्टी व सीमेंट से इसकी आयु करीब 2 हजार साल। समाज के कैलाशचंद्र साकुण्या, निर्मल खटोड़, प्रकाशचंद्र ठोला ने बताया समाजजन ही मंदिर निर्माण का खर्च उठा रहे हैं। 2 साल में काम पूरा हाे जाएगा।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
समाजजन ने मुनि श्री सुधासागर जी महाराज , प्रणम्यसागर जी महाराज व मुनि श्री चंद्रसागर जी महाराज की प्रेरणा से पुराने मंदिर के स्थान पर नए मंदिर का निर्माण शुरू कराया है। पूरा मंदिर ईंट, मिट्टी व सीमेंट से बनेगा। यूं तो निर्माण की शुरुआत 20 दिसंबर 2017 से हुई। पिछले दिनों में निर्माण ने गति पकड़ी। गुना के आर्किटेक्ट व कारीगर 50 गुणित 50 हिस्से में निर्माण कर रहे हैं। अब तक 3 लाख 50 हजार ईंटों का प्रयोग हो चुका है और करीब 1 लाख ईंटें और उपयोग में आएंगी।
सिंगोली में केवल ईंट से तैयार हो रहा मंदिर
सिंगाेली में बगैर लोहा इस्तेमाल किए दिगंबर जैन मंदिर का हो रहा निर्माण।
मंदिर में 5 वेदियां, 3 शिखर बनेंगे, छत डोम आकार की होगी
मंदिर में 5 वेदिया, 3 शिखर तथा छत डोम के आकार की बनेगी। मंदिर समिति पदाधिकारियों की सोच है कि लोहे से बने मंदिर की औसत आयु 300 साल ही होती है जबकि ईंट, मिट्टी व सीमेंट से इसकी आयु करीब 2 हजार साल। समाज के कैलाशचंद्र साकुण्या, निर्मल खटोड़, प्रकाशचंद्र ठोला ने बताया समाजजन ही मंदिर निर्माण का खर्च उठा रहे हैं। 2 साल में काम पूरा हाे जाएगा।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

