राजनीतिक-राजनीति में आरोप प्रत्यारोप अपनी जगह है लेकिन सियासत में दोस्ती के बड़े मायने होते हैं और इसी दोस्ती का हवाला अब कमलनाथ सरकार दे रही है। केंद्र में जब कमलनाथ मंत्री थे तब मोदी के गुजरात को भरपूर मदद की। अब राज्य में कमलनाथ हैं तो वही उम्मीदें कांग्रेस कर रही है। सवाल यह है कि क्या केंद्र की एमपी के लिए मुट्ठी बंद है और इस मुट्ठी को खोलने में प्रदेश बीजेपी का क्या रोल होगा क्योंकि प्रदेश से बीजेपी के 28 सांसद हैं।
सियासत में कमलनाथ दोस्तों के दोस्त माने जाते हैं कमलनाथ ने केंद्र में मंत्री रहते हुए बिना किसी भेदभाव राज्यों की भरपूर मदद की और इनमें मोदी का गुजरात भी शामिल है। अब जबकि एमपी की कमान कमलनाथ के हाथ में हैं तो केंद्र से भी वैसे ही व्यवहार की उम्मीद लाजमी है लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है एमपी के मामले में केंद्र की मुट्ठी बंद है, ऐसे में कांग्रेस ने मोदी सरकार को पुराने दिनों की याद दिलाई है।
कांग्रेस का आरोप है कि करीब दो दर्जन ऐसी केंद्रीय योजनाएं हैं जिनका बजट केंद्र ने रोक रखा है। आकंड़ों के मुताबिक 2018-19 के लिए 6547 करोड़ रुपए केंद्र के पास अटका पड़ा है। जिनमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना का 453 करोड़, हाउसिंग फॉर ऑल, स्मार्ट सिटी और स्वच्छ भारत मिशन के लिए 2600 करोड़ बाकी है। इसी तरह केंद्रीय सड़क निधि का 332 करोड़, ग्रामीण विकास के लिए 2601 करोड़ और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए 429 करोड़ केंद्र को देना है।
इन योजनाओं का पैसा अटका
2018-19 के लिए कुल 6547 करोड़ कम मिले
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना का 453 करोड़
हाउसिंग फॉर ऑल, स्मार्ट सिटी, स्वच्छ भारत मिशन के लिए 2600 करोड़
केंद्रीय सड़क निधि का 332 करोड़
ग्रामीण विकास के लिए 2601 करोड़
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना 429 करोड़
केंद्र पर बेरुखी का आरोप लगाने वाली कांग्रेस अब प्रदेश के सांसदों को पत्र लिखकर अपने हिस्से का बजट केंद्र से रिलीज कराने की मांग करेगी। उधर बीजेपी ने प्रदेश के हित के लिए साथ देने की बात कही है लेकिन कांग्रेस को राज्य और केंद्र के बीच फंड ट्रांसफर की पूरी प्रक्रिया फॉलो करने की नसीहत भी दी है।
राजनीति में जब तक पक्ष विपक्ष में एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप ना हो सियासत की गाड़ी आगे ही नहीं बढ़ती। शायद ये राजनीति का चरित्र बन गया है लेकिन क्या इस तरह की राजनीति से जनता प्रभावित होती है, ये बड़ा सवाल है।

