अनन्त गुण रूपी धन से धनवान रहती है चेतना पूर्णमति माताजी



गोटेगाव-आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी ने कहा चेतना अनंत गुणों की खान है। ज्ञानी व्यक्ति मेरे तेरे जैसे सारे विकल्पों से मुक्त रहता है। क्योंकि वह किसी वस्तु को अपना मानते ही नही। चेतना अनन्त गुणों रूपी धन से धनवान है।
    आर्यिका माताजी ने कहा जो कुछ भी तुम्हारे पास है वह तुम्हें यही छोड़कर जाना है लेकिन गुरु के पास जाने से जो मिलेगा वह तुम्हारे पास ही रहेगा। उन्होंने जोर देते कहा जितने राग द्वेष आदि भाव है वह कर्म अधीन है। अब इनको दूर करने का समय आ गया है। गुरुओं के सानिध्य मे अपने अन्दर की बुराइयों को निकालना है। एक एक बुराई को अपने अंदर से निकालो और अच्छाई को ग्रहण करते चले जाना है।
   संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

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