गोटेगाव-आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी ने कहा मानव जो अपने जीवन में कर्म करता है वह अन्य पर्याय मे नही किया जा सकता। उन्होंने कहा हम अनन्त काल से कर्म करते चले आ रहे है क्या हम उसे ड्यूटी समझ कर रहे है या अपना कर्तव्य समझ कर रहे है। किसी और से कार्य कराने की अपेक्षा स्वयं द्वारा किया गया कार्य ज्यादा उत्तम होता है।
आर्यिका श्री ने अपनी पीयूष वाणी बोलते हुए कहा अनंत काल से पाप करते आ रहे है और आप पूजा करते है तो क्या आपके पाप धुल जायेगे। उन्होंने कहा पाप पूजा करने से नही धुलते, सारे दिन परोपकार के कार्य करने पड़ते है। भावो की सरलता के साथ दिन व्यतीत करना पड़ता है। तब जाकर पुण्य अर्जित होता है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी
आर्यिका श्री ने अपनी पीयूष वाणी बोलते हुए कहा अनंत काल से पाप करते आ रहे है और आप पूजा करते है तो क्या आपके पाप धुल जायेगे। उन्होंने कहा पाप पूजा करने से नही धुलते, सारे दिन परोपकार के कार्य करने पड़ते है। भावो की सरलता के साथ दिन व्यतीत करना पड़ता है। तब जाकर पुण्य अर्जित होता है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

