नन्हे मुन्नों ने दिया बेकार सामग्री को आकर्षक रूप,देखते ही देखते वेस्ट मटेरियल से बन बए वेस्ट आइटम

शिवपुरी।पुराने रद्दी समाचार पत्र, पानी की खाली बोटल्, खाली माचिस, खराब चूड़ियां, आइाक्रीम स्टिक, पेंट के खालील डिब्बे, मिठाई के पुराने डिब्बे जैसी बेकार चीजें नन्हों मुन्नों द्वारा उपयोग की जा रहीं थी और ये बेकार चीजें एक नए आकर्षक उपयोगी सामग्री के रूप में सुन्दरता का रूप लेते जा रहे थे। कक्षा एक से छह तक के नन्हें मुन्ने बच्चों द्वारा इस प्रकार बेकार को नए आकार देने में दर्शकों को लुभा रहे थे। 


अवसर था भारत विकास परिषद की वीर तात्याटोपे शाखा द्वारा आयोजित संस्कृति सप्ताह के दौरान वेस्ट आउट आफ बेस्ट प्रतियोगिता का। इस प्रतियोगिता का आयोजन स्थानीय जी के हेरिटेज स्कूल में किया गया था। इस मौके पर स्कूल संचालक संदीप वर्मा, प्राचार्या पूजा वर्मा, उप प्राचार्या वंदना सिंह, महिला संयोजक संगम अग्रवाल, कार्यक्रम संयाजिका रिंशसी मित्तल, चंदा सिंघल, निर्णायक नीरजा खण्डेलवाल, हर्षा मित्तल सहित बड़ी संख्या में महिला सदस्य, स्कूल स्टॉफ एवं छात्र छात्राएं उपस्थित थे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्राचार्या पूजा वर्मा ने कहा कि वीर तात्याटोपे शाखा स्कूली बच्चों के लिए संस्कार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही है, जो आज के समय में बहुत आवश्यक है। उप प्राचार्या वंदना सिंह ने कहा कि स्कूली शिक्षा के साथ साथ बच्चों के लिए इस प्रकार के आयोजन समय समय पर होते रहना चाहिये। कार्यक्रम को संचालित करते हुए महिला संयोजिका संगम अग्रवाल ने संस्कृति सप्ताह एवं प्रयोगिता के बारे में विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि निश्चित ही प्रतियोगिता के अनुरूप नन्हे मुन्ने बच्चों द्वारा बेकार चीजों से सुन्दर सुन्दर कलाकृतियां बनाई गईं है। कार्यक्रम का संचालन रश्मी सिंघल ने किया जबकि आभार प्रदर्शन रिंशी मित्तल द्वारा ज्ञापित किया गया।

ये प्रतिभागी रहे अपने अपने वर्गों में अव्वल-वेस्ट ऑउट आफ बेस्अ प्रतियोगिता के जूनियर वर्ग में रिशिका राजावत ने प्रथम, कनिष्का अग्रवाल ने द्वितीय एवं गार्गी रावत ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इसी प्रकार प्रतियोगिता के वरिष्ठ वर्ग में नैतिक बंसल ने प्रथम, सानवी गोलिया ने द्वितीय और निशांत धाकड़ ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। सभी विजेता प्रतिभागियों को शाखा की ओर से पुरस्कृत किया गया।

बच्चों ने दिखाई स्वच्छता की मिशाल-इस प्रतियोगिता में जहां बेकार सामग्री को नया नया आकार देने में अपनी कला का बच्चे प्रदर्शन कर रहे थो तो इस सामग्री को बनाने में कतरन आदि से गंदगी भी हो रही थी। किन्तु बच्चों द्वारा स्वयं प्रतियोगिता के उपरान्त प्रतियोगिता स्थल की सफाई कर स्वच्छता की मिशाल पेश की। उन्होंने अपने अपने सामान को सलीके से एकत्रित किया और पूर्ण अनुशासन का परिचय दिया।


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