बिजौलिया-दुनिया में हर व्यक्ति के जीवन में विपत्ति कभी भी आ सकती है, लेकिन विपत्ति में जो सहायता करता है वहीं सदा हितैषी होता है। प्रवचन में मुनिपुंगव सुधासागरजी महाराज ने कहा किसी साधु को बाहर से देखोगे तो गम ही गम नजर आएगा लेकिन उनके अंदर से देखने पर वह सरगम नजर आते हैं अर्थात साधु भले ही बाहर से फकीर हो लेकिन अंदर से गुणों का खजाना होता है । साधु की हर चर्या कठिन होती है फिर भी साधु इसेे पालते हुए आनंद की अनुभूति करता है। अच्छा शिष्य वही होता है जो मन के अनुसार नहीं गुरु के वचनों अनुसार चलता है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

