मानसिक शांति, आत्मबल से सकारात्मक सोच का विकास होता है : सुनील सागर जी



सागवाड़ा-आचार्य श्री  सुनील सागर महाराज ने सोमवार को ऋषभ वाटिका स्थित सन्मति समवशरण सभागार में प्रवचन में कहा कि मोह माया और विकारयुक्त कार्यों से क्षणिक लाभ हो सकता है मगर सुखद अनुभूति कभी प्राप्त नहीं होती है। मानसिक शांति और आत्मबल से सकारात्मक सोच का विकास होता है।
सामर्थ्य क्षमता के धनी लोग किसी भी क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित कर लेते हैं। किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति एवं सफलता के पीछे नीतिगत सिद्धांत, लगनशीलता पूर्वक मेहनत एवं शुद्ध चतुराई का होना जरूरी है। व्यापार के साथ ही धर्म और अन्य किसी भी मार्ग पर आगे बढऩे के लिए समर्पण से कार्य किया जाए तो अवश्य ही सद् परिणाम प्राप्त होते हैं। आचार्य ने कहा कि सफलता भी वही मिलती है जहां समस्याएं होती जिनके जीवन में समस्या नहीं उनका कोई लक्ष्य भी निर्धारित नहीं होता है।
औदिच्य ब्राह्मण समाज के सदस्यों ने किया पादप्रक्षालन
भेद ज्ञान की समझ हो तो प्रगति पथ पर आगे बढ़ा जा सकता है  सुधींद्र सागर जी महाराज
: आचार्य के प्रवचन से पूर्व मुनि श्री सुधींद्र सागर जी महाराज ने संबोधित करते हुए कहा कि तत्वज्ञान से भेद ज्ञान की समझ हो तो प्रगति पथ पर आगे बढ़ा जा सकता है। उन्होंने हुमड़ पुरम मे शिक्षालयों के उद्भव को समाज एवं क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि बताई। आचार्य का पाद प्रक्षालन सहस्त्र औदीच्य ब्राह्मण समाज के पंडित राजेंद्र पंड्या, पंकज पंड्या, एडवोकेट लोकेश पाठक, कमलेश पाठक, विनय शुक्ला, राजेंद्र शुक्ला, शैलेंद्र पंड्या संजय तथा भुवनेश ने किया। मंगलाचरण एवं गुरु वंदना ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधियों ने की।  संचालन नरेंद्र खोड़निया ने किया।
         संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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