कामां-अपनी आत्मा के बल पर व्यक्ति को सर्वाधिक मौन साधना करनी चाहिए,क्योंकि जितना तुम बोलोगे उतने विकल्प तुम्हें ज्यादा आएंगे। तुमने किसी से अच्छा बोल दिया तो तुम्हें अच्छा लगेगा यदि तुमने कोई बात गलत बोल दी तो विकल्प आएगा अरे मैंने उससे ऐसा बोल दिया नहीं बोलता तो ठीक रहता, जितना शांत रहोगे उतनी शांति मिलेगी। उक्त प्रवचन जैनाचार्य विनीत सागर जी महाराज ने विजय मति त्यागी आश्रम में गुरु भक्ति के दौरान जैन श्रावकों से कहे। जैनाचार्य ने कहा कि जो व्यक्ति वास्तव में शांति चाहता है तो सबसे पहले उसे मौन की साधना प्रारंभ कर देनी चाहिए। घर में भी अशांति हो रही हो तो शांति की स्थापना करने के लिए कम से कम बोलना चाहिए। जितना कम वार्तालाप होगा उतने ही झगड़े कम होंगे यह मौन गृहस्थ जीवन और साधु जीवन दोनों के लिए ही अच्छा होता है। जैन आचार्य ने कहां की लोग सुनाना ज्यादा चाहते हैं सुनना कम चाहते हैं किंतु जब तुम्हारे जीवन में सुनने की क्षमता आ जाए तो समझ लेना तुम्हारा मोक्ष मार्ग प्रारंभ हो गया है। सुनने का महत्व बताते हुए आचार्य ने कहा बिना सुने सम्यक्त्व की प्राप्ति भी नहीं हो सकती, बिना सुने सम्यग्ज्ञान व चारित्र की वृद्धि यहां तक वैराग्य की प्राप्ति भी नहीं हो सकती और बिना सुने आत्म ध्यान और ना ही तप की प्राप्ति हो सकती है इसलिए सुनना बहुत जरूरी है। बोलो पर परिस्थिति के अनुसार ,कम से कम बोलना चाहिए और जो भी बोले उन शब्दों को तोल कर बोलना चाहिए यही जीवन की सार्थकता है।
पिच्छिका परिवर्तन समारोह सत्रह नवम्बर को
:-वर्षा योग समिति के प्रचार मंत्री संजय जैन बडज़ात्या ने अवगत कराया कि आचार्य विनीतसागर जी महाराज के 24 वें में वर्षा योग के अंतर्गत नवीन पिच्छिका परिवर्तन समारोह 17 नवंबर को धूमधाम से आयोजित किया जायेगा।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
पिच्छिका परिवर्तन समारोह सत्रह नवम्बर को
:-वर्षा योग समिति के प्रचार मंत्री संजय जैन बडज़ात्या ने अवगत कराया कि आचार्य विनीतसागर जी महाराज के 24 वें में वर्षा योग के अंतर्गत नवीन पिच्छिका परिवर्तन समारोह 17 नवंबर को धूमधाम से आयोजित किया जायेगा।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी