मनुष्य की आदतों का उसके चित्त और चेतना पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता है : मुनिश्री निरीहसागर जी



खुरई-प्राचीन जैन मंदिर में मुनिश्री निरीहसागर जी महाराज ने प्रवचन देते हुए  कहा कि मनुष्य की आदतों का उसके चित्त और चेतना पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता  है। न केवल चित्त-चेतना पर अपितु उसके जीवन पर भी, चाहे आदत अच्छी हो या  बुरी।
अच्छी आदत जहां आपके उत्कर्ष का कारण बनेगी, बुरी आदतें आपको रसातल में पहुंचा देंगी। उन्हाेंने कहा कि जीवन की उत्थान व पतन मनुष्य की अपनी प्रवृत्तियों पर ही निर्भर करता है। आप जिन सीढ़ियों से  ऊपर चढ़ते हैं उन्हीं सीढ़ियों से नीचे भी उतरा जाता है। अच्छी आदत की सीढ़ी  पर चढ़कर जहां शिखर पर पहुंच सकते हैं तो गंदी आदतों के शिकार बनकर रसातल  में भी जाया जा सकता है। हर व्यक्ति के जीवन के साथ ऐसी ही स्थितियां  निर्मित होती हैं। जैसे धरती पर हम आम बोएंगे तो आम ही उगेगा और बबूल के  बीज बोए जाएं तो बबूल की कटीली फलियां उगेगी, जैसा बीज बोया जाता है वैसा  ही पेड़ उगता है। ऐसे ही हम अपनी चित्त और चेतना की भूमि पर आदतों के जैसे  बीजों का बीजारोपण करते हैं वैसी ही प्रवृत्ति हमारी बन जाती है और वही  हमारा चरित्र बन जाता है। मुश्किल यह भी है कि एक ही आदत अनेक आदतों को  जन्म देती है। उन्हाेंने कहा कि अच्छी आदतें तो निश्चित रूप से उत्कर्ष  करने वाली हैं, लेकिन बुरी आदतें मनुष्य के जीवन में किस तरीके से प्रवेश  करती हैं और वह मनुष्य के जीवन काे किस तरीके से प्रभावित करती हैं और उनसे  बचा कैसे जाए, यह जानना और समझना और आचरण में उतारना बहुत जरूरी है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.