शरद पूर्णिमा पर धरा पर अवतरित हुयी माँ ज्ञानमती जन जन का कल्याण करने जो निकल पड़ी माँ ज्ञानमती



अनेक ग्रंथो की रचना कर डाली आप है साक्षात् ज्ञानमूर्ति
नमन तुमको माँ ज्ञानमती
कल्पदुम सर्वोतोभद्र जैसै विधान की रचियता माँ आप तो साक्षात् ज्ञान वनिता सारा जैन जगत तुमको नमन करता जन जन ये कहता माँ ज्ञानमती की जय जय बोलता
आपकी है अद्भुत परिकल्पना हस्तिनापुर जम्बूदीप की रचना माँ आपका क्या कहना
कुण्डलपुर मांगीतुंगी तीर्थ अद्भुत होना सचमुच माँ आप जैन धर्म का अद्भुत गहना
ऐसी गौरवमयी माँ को अवतरण दिवस पर शत् शत् वंदामि द्वारा अभिषेक जैन लुहाड़िया  रामगंजमण्डी

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