सागवाडा-आचार्य सुनील सागर जी महाराज आज शाम 4 बजे ससंघ नगर से विहार करेंगे। इससे पूर्व शनिवार को ऋषभ वाटिका स्थित समवशरण सभागार में प्रवचन में कहा कि स्वभाव मे दया, करुणा एवं निर्मलता के साथ ही परोपकारी के भाव जीवन की सबसे बड़ी संपदा होती है।
वागड़ के रहन सहन, आपसी सहयोग, शालीनता से परिपूर्ण प्रेम भाव और सभी वर्ग धर्म समुदाय मे आपसी सामंजस्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस अंचल में सांप्रदायिक सद्भावना परिलक्षित होती है। आचार्य ने कहा कि वागड़ का जर्रा -जर्ऱा पुण्य और धर्म भक्ति की प्राचीन वैभवता के साथ अद्भुत पहचान क़ायम रखता है। जिसे यथावत रखते हुए दो क़दम आगे बढ़कर इस क्षेत्र में अब नया इतिहास लिखा जाएगा। उन्होंने सागवाड़ा में लोहरिया तालाब के टापू पर निर्माण के लिए प्रस्तावित भगवान महावीर स्वामी पावापुरी का जिक्र करते हुए कहा कि यहा एक सुंदर कल्पना को साकार रूप दिया जा रहा है, जिससे आने वाली पीढ़ी तक याद रखेगी। आचार्य ने कहा कि समय मत लगाओ यह तय करने में कि आपको क्या करना है, वरना समय तय कर लेगा की आपका क्या करना है। आचार्य ने कहा कि भारतीय सभ्यता संस्कृति एवं आध्यात्मिक चिंतन से इस धरा पर ऐसे कई महान विभूतियों ने जन्म लिया जिन्हें आराध्य तथा आदर्श होने के साथ ही भगवान का स्वरूप प्राप्त हुआ है। जिनके द्वारा स्थापित सिद्धान्तों, जीवन के शाश्वत मूल्यों और आदर्शों का जन जन द्धारा आस्था, विश्वास, श्रद्धा और भक्ति से अनुभूति की जाती रही है। आचार्य ने कहा कि भगवान महावीर स्वामी, श्रीकृष्ण, श्रीराम सहित अनेक महान संतों और तपस्वियों ने मंगलमय प्रभाव तथा आदर्श जीवन से मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने कहा कि किसी को अपनी पसंद बनाना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन किसी की पसंद बन जाना बहुत बड़ी बात है। इस बात को महान वीतरागी भगवान स्वरूप इन विभूतियों ने सिद्ध किया है। हर व्यक्ति की अपनी अपनी पसंद होती है, जिससे वह बहुत कुछ सीखता है। किसी की पसंद फि़ल्मी हीरो, सड़क छाप नेता और हिंसा में लिप्त व्यक्ति भी हो सकता है। संगत और सत्संग का जीवन में बड़ा असर पड़ता है। जैसा वातावरण होगा, वैसा ही व्यक्ति का निर्माण होगा इसलिए प्रकृति एवं प्रवृति के अनुसार श्रेष्ठ तथा चरित्रवान मार्गदर्शक होना जरूरी है। इस अवसर पर सकल दशा हुम्मड़ दिगंबर जैन समाज के पंचों ने आचार्य को श्रीफल भेंटकर पंच कल्याणक महोत्सव तक सान्निध्य प्रदान करने की अनुमोदना की। आचार्य के प्रवचनों से पूर्व धर्मसभा को ससंघ मुनि श्री सुकुमाल सागर जी महाराज ने संबोधित किया।
समाज के ट्रस्टी नरेंद्र खोड़निया ने बताया कि रविवार शाम 4 बजे आचार्य ससंघ नगर से विहार करेंगे। सुबह में पावापुरी निर्माण के सहयोगियों द्वारा आचार्य का पाद पक्षालन किया जाएगा। इससे पूर्व आचार्य के सानिध्य में पूर्व जैन बोर्डिंग के पास स्थित आचार्य शान्तिसागर माहाराज श्राविका आश्रम का शिलान्यास किया जाएगा। आदिसागर अंकलीकर जागृति मंच मूंगाणा की महिला गुरु भक्तों ने श्री फल भेंट कर आचार्य का आशीर्वाद लिया। संचालन नरेंद्र खोड़निया ने किया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी