चँदेरी-चौबीसी जैन धर्मशाला में विराजमान मुनिश्री सुब्रत सागर जी महाराज का शनिवार को पिच्छिका परिवर्तन समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान शहर सहित आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए।
पिच्छिका परिवर्तन समारोह को संबोधित करते हुए मुनिश्री सुब्रत सागर जी महाराज ने कहा कि साल भर मुनि चर्या का पालन करते हुए जब पिच्छी के पंख कड़क हो जाते हैं तब जीवों का घात होने लगता है। तब अहिंसा धर्म का पालन करते समय परेशानी का अनुभव होने लगता है। अत: दया धर्म का पालन करने के लिए श्रावक जन अपने यहां साधना रत मुनियों को नवीन पिच्छिका प्रदान करते हैं। इससे दया धर्म का पालन होता रहे। इसी के साथ चातुर्मास का समापन हो जाता है। जैसे पंख आने पर पंछी उड़ जाते हैं। उसी तरह नवीन पिच्छी आने साधुओं का बिहार होने लगता है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
पिच्छिका परिवर्तन समारोह को संबोधित करते हुए मुनिश्री सुब्रत सागर जी महाराज ने कहा कि साल भर मुनि चर्या का पालन करते हुए जब पिच्छी के पंख कड़क हो जाते हैं तब जीवों का घात होने लगता है। तब अहिंसा धर्म का पालन करते समय परेशानी का अनुभव होने लगता है। अत: दया धर्म का पालन करने के लिए श्रावक जन अपने यहां साधना रत मुनियों को नवीन पिच्छिका प्रदान करते हैं। इससे दया धर्म का पालन होता रहे। इसी के साथ चातुर्मास का समापन हो जाता है। जैसे पंख आने पर पंछी उड़ जाते हैं। उसी तरह नवीन पिच्छी आने साधुओं का बिहार होने लगता है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी