सतवास-नगर में दिगंबर जैन समाज द्वारा पंचकल्याणक महोत्सव मनाया जा रहा है। इसके तहत भगवान ऋषभदेव का जन्मोत्सव मुनिश्री विराटसागरजी, दुर्लभसागरजी एवं संधानसागरजी महाराज की मंगल उपस्थिति एवं प्रतिष्ठाचार्य विनय भैया के मार्गदर्शन में भक्तों ने मनाया।
वहीं भगवान की शोभायात्रा नगर के विभिन्न मार्गाें से होकर बैंडबाजों के साथ निकली। इसमें दूर-दराज के क्षेत्र से आये समाजजनाें के साथ-साथ नगर के सकल समाज के लोगों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। नवनिर्मित जैन मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए किए जा रहे महाेत्सव में सुबह से ही नित्य अभिषेक, शांतिधारा, पूजन आदि किया गया।
कार्यक्रम के दाैरान मुनिश्री संधानसागरजी महाराज ने कहा जन्म और मृत्यु सिक्के दो पहलू हैं। आएगा वह तो जाएगा ही। मृत्यु हुई तो कहीं न कहीं जन्म भी होगा। संसारी जन्म से मरण तक दौड़ता है। आदमी और अंत में दौड़कर दम तोड़ते हैं। आदमी को पाश्चात्य संस्कृति से बचना चाहिए। पंचकल्याणक महोत्सव मे भगवान के माता पिता बनने का गौरव हाटपिपलिया निवासी श्री पवन कुमार चंदा देवी टोंग्या जी को मिला
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
