राजनीतिक हलचल-2018 के विधानसभा में सिंधिया ने खूब पसीना बहाया,खासकर ग्वालियर चम्बल अंचल में अधिक । पसीने क्यों न बहते उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें सत्ता का सुख मिलेगा,क्षेत्र की जनता को भी भरोसा था कि उनके महाराज सूबे के मुखिया बनेंगे तभी तो मुरैना में भाजपा को शून्य और ग्वालियर में एक सीट देकर कह दिया कि हमारा नेता महाराज । सूबे में मुख्यमंत्री चयन में सिंधिया को ऐसा अनदेखा किया कि फिर कांग्रेस ने उन्हें अनदेखा ही किया और कर रही है । पहले मुख्यमंत्री पद फिर अब तक पीसीसी चीफ तक भी उनकी कोई उम्मीद नहीं दिख रही । अब जौरा विधानसभा में उपचुनाव आते देख खबर है कि सिंधिया को राज्यसभा भेजा जा सकता है लेकिन हमारे राजनीतिक संवाददाता की बात पर भरोसा करें तो ये खबर सिर्फ इसलिए भी है कि जौरा से स्व. विधायक सिंधिया समर्थक थे और अब भी सिंधिया का ही रसूख चलेगा ऐसे में सीट फिर से कांग्रेस की झोली में सिर्फ सिंधिया ही ला सकते हैं लेकिन पीसीसी चीफ या राज्यसभा दोनों ही उपचुनाव के बाद तय हुए तो ये भी तय है कि सिंधिया खाली हाथ रह सकते हैं, ऐसे में सवाल है कि इतनी मेहनत करके सिंधिया को क्या इलेग..??

